Saturday, April 4, 2015
तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरू
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी ने निष्काम भाव से सेवा का आह्वान करते हुए कहा है कि सेवा का भारतीय दर्शन हर मनुष्य में ईश्वर देखता है, जबकि अन्य विश्वासों में सेवा के पीछे कोई न कोई निहितार्थ होता है. सेवा के बदले किसी भी उद्देश्य की पूर्ति करने से वह दूषित हो जाती है.
समरसता नगर (जी.टी करनाल रोड, अलीपुर) के पू. बाला साहब देवरस सभागार में दूसरे राष्ट्रीय सेवा संगम के उद्घाटन सत्र में अपने ओजस्वी उद्बोधन में डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि दुर्बल वर्ग के हर अभाव को दूर करना समाज के समर्थ वर्ग का दायित्व है. उन्होंने कहा कि पहले चरण में हम चाहते हैं कि देश में कोई दीन-दुखी न रहे और दूसरे चरण में सारी दुनिया में ऐसी ही सुंदर स्थिति का निर्माण कर दें.
सहसरकार्यवाह ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जन्मशताब्दी वर्ष 1989 के उस समय का स्मरण किया जब तत्कालीन सरसंघचालक परम पूज्य बाला साहब देवरस ने सेवा कार्य प्रारम्भ करने का संकल्प लिया था. उन्होंने बताया कि श्री देवरस ने अपने सहयोगी कार्यकर्ताओं से जानना चाहा था कि वंचित समाज के दुख-दैन्य को दूर करने के लिये क्या हम पांच हजार सेवा कार्यों से काम शुरू कर सकते हैं. उनका यह संकल्प अगले लगभग 7 वर्षों में न केवल पूरा हो गया बल्कि यह संख्या अब बढ़ कर डेढ़ लाख से अधिक हो गई है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि पांच वर्ष बाद होने वाले अगले संगम में यह संख्या दुगनी यानी तीन लाख हो जायेगी. उन्होंने परामर्श देते हुए कहा कि राष्ट्रीय सेवा भारती और संघ के स्वयंसेवक समाज की अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं तथा सेवाभावी सक्षम और सम्पन्न लोगों को साथ लेकर इस लक्ष्य को प्राप्त करें.
डॉ. कृष्ण गोपाल ने पिछले एक हजार वर्ष के पराधीनताकाल के दौरान संचित समस्याओं के उन्मूलन के लिये अकबर कालीन कवि अब्दुल रहीम खान ए खाना जैसे कार्यकर्ताओं को तैयार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि उनका मन यहां की संस्कृति और प्राणिमात्र में ईश्वर के दर्शन में रच-बस गया था.
पूज्य माता अमृतानंदमयी अम्मा ने अपने आशीर्वचन में शांति एवं संतोष से परिपूर्ण विश्व के निर्माण का आह्वान किया. उन्होंने प्रेम, करुणा और सेवा के निष्काम भाव पर जोर देते हुए कहा कि यदि सम्पन्नता और निर्धनता की बड़ी खाई को भरने में देर लगी तो हिंसा और युद्ध से नहीं बचा जा सकेगा.
अम्मा ने बच्चों को सनातन सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा देने की सलाह देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त शिक्षकों को दो वर्ष ऐसी शिक्षा प्रदान करने के लिये स्वयं को समर्पित करने चाहिये. अम्मा ने राष्ट्रीय सेवा भारती की पत्रिका सेवा साधना का विमोचन भी किया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सह सेवा प्रमुख श्री अजित प्रसाद महापात्र ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा भारती दुर्बल समाज के आंसू पोंछने के लिये अपेक्षित भाव पैदा करने के साथ ही उनमें स्वाभिमान जगाने का प्रयास कर रही है.
संगम के लिये गठित स्वागत समिति के अध्यक्ष और जी मीडिया समूह के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्रा ने मंचस्थ महानुभावों और प्रतिभागी समस्त प्रतिनिधियों का स्वागत किया. मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोशी, व्यवसायी श्री अतुल गुप्ता जी, राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश टोंक उपस्थित थे. संगम में राष्ट्रीय सेवा भारती से सम्बद्द 850 संस्थाओं के लगभग चार हजार प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
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