Wednesday, July 2, 2014

मनुष्य स्च्चे अर्थो मे स्वतंत्र तब होता है जब वह स्वधर्म और स्वदेश को देखता- परम पूज्य सरसंघ चालक मोहन जी भागवत जी झाबुआ । बहार से जितना और जैसा प्रायश होता है उतना ही काम होता है लेकिन भवन मे ऐसा नही होता जैसे पानी की प्रवृती ही ऐसी है की उष्णता मिलते ही वह भाप बन कर उड जाता है एक जगह नही ठहरता है। इसी प्रकार अन्दर की उर्जा से जो काम होते है और जहां होते है वह अपना भवन उक्त बात परम पूज्य सर संघचालक मोहन जी भागवत ने वनवासी अंचल झाबुआ जिले मे दत्ताजी उननगावंकर द्वारा निर्मति संघ कार्यालय जागृती के लोकर्पण पर उपस्थित कार्यकर्ता और गणमान्य नगारीको को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर दत्ताजी उननगावकर ट्रस्ट के अध्यक्ष रामगोपाल जी वर्मा ने ट्रस्ट के बारे मे विस्तार से जानकारी देते हुए बताया की इस निर्माण कार्य मे जिले के सभी स्वयंसेवको ने दिन रात अथक प्रयश किया और समाज ने भी बडे उत्साह के साथ सहयोग दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्षैत्र संघचालक माननीय अशोक जी सोहनी ने कहा की पहले पुराना कार्यालय छोट था अब बडा कार्यालय बन चुका है यानि की काम भी अब ज्यादा बडा हो चुका है। कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुए परमपूज्य संघचालक मोहनजी भागवत ने कहा की कार्यकर्ताओ को पता है कि कौन सा काम करना है कैसे करना है उन्हे पता है उसमे नई बात जोडने की कोई आवश्यकता ही नही है। भाषण करेगे या मार्गदर्शन करेगे यह अच्छा नही लगता है यह शब्दो का फर्क है शब्द परम्परा से चलते है अर्थ जानकर चलते है ऐसा नही है। इस लिए शब्दो का भी ध्यान रखना चाहिए। पूरम पूज्य ने कहा की नया भवन बना है भवन यानी होना लेकिन कुछ भवन ऐसे भी बनते है जहां कुछ होता नही है लेकिन अपने भवन ऐसे नही है। उन्होने कहा की बहार से प्रयश होता है उसमे जितना और जैसा प्रयाश होता है उतना ही काम होता है लेकिन भवन मे ऐसा नी होता जैसे पानी की प्रवृति होती है उसे उष्णता मिलते ही वह भाप बन कर उड जाता है। अंदर की उर्जा से जो काम होते है जो काम बनते है वह अपना भवन। क्षैत्र मे समस्या है उसका निराकरण कौन करेगा बहार से आकार कोई करने वाला है क्या कर नही सकता। कुछ लोग जिनके मन मे करूणा है वे प्रयाश भी करते है लेकिन समस्या का निराकरण नही हो सकता समस्या का निराकरण तब ही हो सकता जब जिसकी समस्या है वह खुद उसका निराकरण करे। यह तब होता है जब व्यक्ति के मन मे यह इच्छा हो की वह समस्या का समधान खुद करेगे वह इस प्रकार की समस्या मे नही जियेगा ऐसी इच्छा जब व्यक्ति के मन मे होती है तो फिर बहार का कोई व्यक्ति मदद करे या ना करे भगवान उसकी मदद जरूर करता है क्योकि प्रत्यके मनुष्य के अंदर भगवान है ऐसा मानने वाले हम लोग है। यह परम्परा हमारे देश की है दुनिया मे और कही ऐसा नही है। अंदर से जब व्यक्ति सोचता है तो भगवान भी आर्शिवाद देता है। व्यक्ति जब एक कदम चलता है तो भगवान दस कदम चलता है। समाज का वास्तविक मे भला तब ही होगा जब समाज खुद सोचेगा की अपना भला होना चाहिए इसके लिए कोई बहार से आयेगा उसके आर्शीवाद से काम होगा ऐसा नही है। हमारा भविष्य अपने हाथो मे है। और भगवान ने मनुष्य को इसी लिए बनाया है हमारे साधु महात्म कहते कि ईश्वर भी खेल खेलता है अपने एक अंश को मनुष्य बना कर भेजा है और कहता है जा मैने तुझे सब दिया अब तू नर से नारायण बन जा। परम पूज्य ने कहा की पहले यहां छोटा सा भवन था अब बडा भवन बन गया तो काम भी बडे पैमाने पर करना ही चाहिए। कार्यालय बन गया यानि कार्य का लय नही हो जाय बल्कि कार्य मे लय आ जानी चाहिए । समाज की विभिन्न आशाओ की पूर्ति का केन्द्र यह भवन बनना चाहिए इस भवन मे आने मात्र से मनुष्य को एक भरोसा मिलता है। इस भवन मे आने मात्र से मनुष्य अपने भाग्य को बनाने के लिए पुरूषार्थ की प्रवृति को अपना लेता है। ओर किसी दुसरे का मुहॅ ताकने मे विश्वास नही रखता ऐसा काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कर रहा है। उन्होने दत्ताजी उननगांवकर के बारे मे बताते हुए कहा की वे जिनके नाम से यह ट्रस्ट है वे भी संघ के ही प्रचारक थे। हमेशा सबकी चिंता करना अपने लिए कुछ नही इस लिए उन्हे अंतिम दिनो मे यह काम दिया गया की जो सबकुछ छोड कर आये आये है प्रचारक उनकी चिंता कौन करेगे तो उसके लिए दत्ताजी को प्रचारक प्रमुख का बनया गया ताकी वे सबकी चिंता कर सके। जिस प्रकार से भवन बनाने मे सभी का सहयोग मिला वैसे ही इस भवन से काम हो उसमे सभी का सहयोग मिलना चाहिए मात्र भवन बनाने से काम नही पूर्ण हो जाता बल्कि वास्वत मे भवन बनाने के बाद काम प्रारभ होता है और तब तक करते रहना है जब तक कार्य पूर्ण नही हो जाता। चलती रही आजादी की लडाई झाबुआ जिले मे समस्या के मामले मे भी आगे है भारत की परम्परा मे झाबुआ जिले को गौरव प्राप्त है यहां पर आजादी की लडाई हमेशा चलती रही है कभी थमी नही। कभी तात्य टोपे का संचार हुआ तो कभी राजस्थान मध्यप्रदेश ओर गुजारत के अंचल मे इन सब लोगो का संचार हुआ स्वधर्म ओर स्वदेश की ज्योति जागती रखने के लिए। और इसे जाग्रत रखने की आवश्यकता हमेशा रहती है। लेकिन मनुष्य सच्चे अर्थो मे स्वतंत्र तब होता है जब वह स्वधर्म और स्वदेश को देखता है। तब उसकी सारी समस्याओ का निराकरण भी होता है दुसरा कोई आकर समस्या सुलझाय तो वह जो समधान देता है उसी मे हमको चलना होता है और वह हमको अच्छा लगेगा नही। मनुष्य मात्र की सच्ची स्वतंत्रा स्वधर्म मे ही है। धर्म का कोई नाम नही होता धर्म एक ऐसी वस्तु है जब सब पर लागे होती है। मिट्टी के एक कण से लेकर दुनियां मे अगर सबसे बडा आदमी है तो उस पर भी। बिना धर्म के कुछ नही हो सकता और हम जो धर्म मानते है वह सारी दुनियां कै जिसे कभी हम प्रेम तो कभी करूणा तो कभी किसी और नाम से जानते है ओर इसे एक नाम देने की आवश्यता पडती है ओर वह है हिन्दु धर्म ओर हम हिन्दु धर्म को मानते है। और हम हिन्दु धर्म के अनुयायी है । हिन्दु धर्म वैश्वीक कैसे बना तो उसका कारण स्वदेश है यह भारत भूमी ऐसी है जो सबकुछ देती है और इतना देती है कि हमे उसे बाटना पडता है। और इसी कारण हम ने चाहा की भाषा अलग है पूजा अलग है लेकिन हमे इस भूमि से इतना मिल रहा की हम सब मिल कर रहे एक दुसरे की पूजा को बदलने का प्रयाश मत करो सब मिल जुल कर रहो ओर विश्व का भला करो। उपभोग करना तो व्यक्ति तब चहाता है जब कम हो लेकिन जब व्यक्ति को भरपूर से ज्यादा मिलता है तो वह दुसरो की मदद करने की सोचता है। हमरा यह स्वभाव इस भूमि ने बनाया इस देश ने बनाया इस लिए देश की रक्षा ही धर्म की रक्षा है और जब हमे यह सब सोच कर संगठित होगे सामर्थवान होगे तो किसी भी समस्या हमारे समाने नही ठिक पायेगी। पूरम पूज्य सरसंघचालक जी की मुख्य द्वारा पर अगवानी प्रांत प्रचारक परगाजी अभ्यंकर, क्षैत्र संघचालक आशोक जी सोहनी, जिला, विभाग संघचालक जवहारजी जैन, जिला संघचालक मुकुट जी चैहान ने की आदिवासी नृतक दल की प्रस्तुती के साथ मंच तक लाया गया जहां पर आदिवासी परम्परा के अनुसार आदिवासी प्रतिक चिन्होे से जिला कार्यवाह रूस्माल चरपोटा ने स्वागत किया। आदिवासी नृत्य दल की प्रस्तुती पर हुए अभिभूत अलिराजपुर जिले से आये आदिवासी नृत्य दल की आकर्षक प्रस्तुतीयो देख कर परमपूज्य संघचालक जी काफी अभीभूत हुए एंव उनके साथ फोटो भी खिचवाया।
RSS Chief Mohan Bhagwat inaugurates Vidya Bharati’s School ‘Madhav Vidyapeeth’ at Bharuch, Gujarat RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat inaugurated ‘Madhav Vidyapeeth’ a school affiliated to the RSS education wing Vidyabharti in Kakadkui village of Bharuch district.During the inaugural ceremony, along with senior RSS functionaries, Union Minister and Bharuch MP Mansukh Vasava, Rajya Sabha MP Bharatsinh Parmar, Gujarat Ministers Ganpat Vasava, Chhatrasinh Mori and Nanu Vanani The newly inaugurated school buildings in the compound that also houses a Ram Mandir. The classrooms have been named after Indian mythological characters — Dhruv, Eklavya and Chanakya among others. RSS Chief Mohan Bhagwat praised the skills of tribals, during his address to approximately 300 students belonging to tribal families.