Monday, April 6, 2015

RSS-Vagish Issar: तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरूनई दिल्ली. राष्...

RSS-Vagish Issar: तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरूनई दिल्ली. राष्...: तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरू नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी ने निष्काम भाव से सेवा का आह...

RSS-Vagish Issar: परम पूज्य सरसंघचालक का सेवा कार्यों की गति दुगुनी ...

RSS-Vagish Issar: परम पूज्य सरसंघचालक का सेवा कार्यों की गति दुगुनी ...: परम पूज्य सरसंघचालक का सेवा कार्यों की गति दुगुनी करने का आह्वान नई दिल्ली, 5 अप्रैल (इंविसंके). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सर...

RSS-Vagish Issar: होसबले ने बताया व्दितीय राष्ट्रीय सेवा संगम को अव्...

RSS-Vagish Issar: होसबले ने बताया व्दितीय राष्ट्रीय सेवा संगम को अव्...: होसबले ने बताया व्दितीय राष्ट्रीय सेवा संगम को अव्दितीय नई दिल्ली. (इविसंके) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय हो...
होसबले ने बताया व्दितीय राष्ट्रीय सेवा संगम को अव्दितीय नई दिल्ली. (इविसंके) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने राष्ट्रीय सेवा भारती के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय व्दितीय राष्ट्रीय सेवा संगम को अव्दितीय बताते हुए आशा व्यक्त की कि यह देश में सेवा की सुनामी लाने में सहायक होगा. समापन सत्र में श्री होसबले ने देश के 532 जिलों से यहां आये 3050 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस संगम में हुए विचार-विमर्श से अगले पांच वर्ष तक इन पांच बिंदुओं पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलेगी- सेवा कार्यों की गति बढ़ाना, सेवा कार्यों की संख्या बढ़ाना, सेवा कार्यों के आयामों में वृद्धि, गुणवत्ता में अभिवृद्धि तथा प्रभाव (इम्पैक्ट) में वृद्धि. राष्ट्रीय सेवा भारती से जुड़े 707 गैर सरकारी संगठनों के इन प्रतिनिधियों को श्री होसबले ने अनेक सफलतादायक परामर्श दिये. उन्होंने व्यवस्थित ढंग से सेवा कार्य करने का स्वभाव बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जरूरतमंद लोगों के बीच एवं जल स्रोतों के शुद्धिकरण के लिये परिणामदायी काम करने की बहुत आवश्यकता है. सहसरकार्यवाह ने यह भी आशा व्यक्त की कि सेवा भारती से जुड़े संगठनों का कामकाज इतने उत्कृष्ट स्तर का होना चाहिये जिससे यह सेवा के क्षेत्र में मानक बन सके. इसके लिये उन्होंने सुझाया कि सेवा भारती से सम्बद्ध संगठन अन्य कार्यों के अलावा एक-दो क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करें, सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिये सुनिश्चित योजना तैयार करें और दक्षता विकास के लिये निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलायें जिससे प्रत्यक्ष कार्य क्षेत्र में आवश्यक विशिष्ट ज्ञान के साथ ही सामूहिकता, परिश्रम, लगन, निरंतरता, समन्वय और आदर्श नेतृत्वकारी गुणों का विकास हो सके. स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि हमें पश्चिमी जगत से आधुनिक ज्ञान सीखने में कोई संकोच नहीं करना चाहिये. साथ ही, भारत को विश्व के बीच श्रेष्ठ स्थान पर प्रतिष्ठित करने के प्रयत्नों में भारतीय मूल के विदेशों में बसे लोगों विशेषकर युवकों से सहायता ली जा सकती है. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उच्च शिक्षित युवकों में सेवा का आकर्षण बढ़ रहा है. वे अच्छी नौकरियां छोड़ कर सेवा क्षेत्र में आ रहे हैं. श्री होसबले ने प्रतिनिधियों को इस बात से सावधान किया कि सेवा कार्य में किसी भी प्रकार की अस्पृश्यता का कोई विचार अपने मन में न रखें. वे यह भी सदैव अपने ध्यान में रखें कि समाज के सभी लोगों की दुर्बलता दूर किये बिना समर्थ भारत नहीं बन सकता. इसके लिये उन्होंने बिलियर्ड्स के नौ बार विश्व चैम्पियन रहे गीत सेठी के आत्म-जीवन वृत का उल्लेख करते हुए कहा कि सेवा कार्य आनंद की अनुभूति पाने के लिये करें तो सफलता उनके चरण चूमेगी. श्री होसबले ने सेवा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह जीवन का मंत्र है. यह जड़-चेतन में व्याप्त ईश्वर की उपासना का माध्यम है. यह किसी के उपकार के लिये नहीं होती. वैसे किसी भी क्षेत्र में काम करना भी सेवा ही है. उन्होंन इसे वृहद आंदोलन की कड़ी निरूपित करते हुए कहा कि सुदृढ़ और समर्थ समाज सेवा भारती का विज़न व मिशन है. उन्होंने स्वामी विवेकानंद के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि सेवा के रूप में त्याग की अभिव्यक्ति होती है. विवेकानंद ने कहा था कि जो दूसरों के लिये जी रहे हैं, वही वास्तव में रहे हैं. जो सिर्फ अपने लिये जी रहे हैं, वे मृतप्राय: हैं. सेवा स्वयं और दूसरों को नर से नारायण बनाने का उपाय है. सचमुच, यह दैवी भाव जाग्रत करने में समर्थ है और यह विभिन्न प्रकार के ऋण चुकाने का भी माध्यम है. इससे पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सेवा प्रमुख श्री सुहास राव हिरेमठ ने बताया कि इस संगम में देश के सभी राज्यों के 707 स्वयंसेवी संगठनों के 3050 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, इनमें 2535 पुरुष और 515 महिलायें शामिल हैं. कार्यक्रम के प्रारम्भ में दिल्ली सेवा भारती के अध्यक्ष श्री तरुण जी ने श्री होसबले का स्वागत किया. सबसे अंत में राष्ट्रीय सेवा भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्री ऋषिपाल डडवाल ने आभार व्यक्त किया. मंच पर राष्ट्रीय सेवा भारती के ध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश टोंक भी उपस्थित थे.

Sunday, April 5, 2015

परम पूज्य सरसंघचालक का सेवा कार्यों की गति दुगुनी करने का आह्वान नई दिल्ली, 5 अप्रैल (इंविसंके). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने प्रसिद्ध उद्योगपति श्री अज़ीम प्रेम जी के इस कथन से सहमति व्यक्त की कि सेवा का कार्य अति-विशाल है और इसके माध्यम से उत्कट राष्ट्रभाव से परिपूर्ण भारत के निर्माण के लिये सबको मिलकर काम करना पड़ेगा. परम पूज्य सरसंघचालक ने सभी प्रतिनिधियों से सेवा प्रकल्पों और उनके कार्यों की संख्या बढ़ाने की गति को दुगुनी करने के लिये संकल्प लेने का आह्वान किया. उन्होंने संगम में देश भर से आये प्रतिनिधियों को परामर्श दिया कि वे अपने कामकाज का सिंहावलोकन कर सेवा करने वाली देश की सज्जन शक्ति को अपने से जोड़कर साथ-साथ चलें. श्री भागवत ने आज राष्ट्रीय सेवा भारती के तत्वावधान में राष्ट्रीय सेवा संगम के तीन दिवसीय सेवा संगम के दूसरे दिन कहा कि सेवा अभाव के चलते ही आज देश में दुर्बल वर्ग बना रहा. अब इसमें बदलाव आ रहा है और यह वर्ग समर्थ बन रहा है. अब न केवल हम देश में बल्कि देश के बाहर भी सेवा का कार्य कर रहे हैं. डॉ. भागवत ने कहा कि संघ की प्रेरणा से राष्ट्रीय सेवा भारती ने पिछले 25 वर्षों में काफी बड़ा आकार ग्रहण किया है, लेकिन अति विशाल राष्ट्र के समक्ष यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. उन्होंने कहा, “हमें सर्वांग सुंदर समाज बनाना है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति समर्थ हो. इसके लिये हमें और अधिक विस्तारित एवं व्यवस्थित कार्य करने होंगे.” परम पूज्य सरसंघचालक ने कहा कि 1989 में संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवारजी जन्म शती पर सेवा निधि बनाई गई थी और अगले एक वर्ष यानी 1990 में ही 10 हजार सेवाकार्य शुरू हो गये थे और अब यह बढ़कर डेढ़ लाख से अधिक हो चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा, “ सेवा में कोई भेद नहीं होता, इसलिये इसकी पात्रता के लिये हिंदू या स्वयंसेवक होना जरूरी नहीं है. यह संबंध निरपेक्ष आत्मीयता का है, जिसमें किसी मुआवजे की अपेक्षा नहीं है.” डॉ. भागवत ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि दुर्बल एवं वंचित वर्ग की समर्थों द्वारा उपेक्षा का पाप अब सेवा से धुल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सेवा कार्यों की कसौटी यही होगी कि सेवा प्राप्त करने वाले लोग इतने समर्थ बन जायें कि वे अन्य दुर्बल व्यक्तियों की सेवा प्रारम्भ कर दें. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राष्ट्रीय सेवा भारती अन्योन्याश्रित हैं. अंतर बस इतना है कि संघ कार्य अनौपचारिक है, दूसरी ओर सेवा भारती का काम औपचारिक है. सेवा के महत्व पर ज़ोर देते हुये डॉ. भागवत ने कहा कि सेवा धर्म है, जिसमें जीवन दान कर देना चाहिये, यह हमारी प्राचीन परंपरा का आदेश है. ऐसे में सबको सुखी देखना और इसके लिये स्वयं को अनुशासित करना ही धर्म है. मुख्य अतिथि के आसन से श्री अज़ीम प्रेम जी ने कहा कि जब वह यहां भागवत जी के अनुरोध पर आ रहे थे तो कुछ ने आपत्ति जताई थी, जिसे उन्होंने दरकिनार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं. वह देश और समाज को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं और संघ के काम की प्रशंसा करते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में विकास पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में हम सभी को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा क्षेत्र को मज़बूत करना चाहिये. उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थान इनके मुकाबले में कहीं नहीं हैं. हर किसी को उसकी इच्छानुरुप शिक्षा मिले, तो ही देश आगे बढ़ेगा. विशिष्ट अतिथि के आसन से जीएमआर ग्रुप के संचालक श्री जीएमराव ने कहा कि हमें यह समझना चाहिये कि हम समाज को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं और देश को क्या दिशा देना चाहते हैं. हमें भविष्य को देखकर काम करना होगा ताकि समाज में शांति और अमीर-गरीब का अंतर मिटाया जा सके. इसके लिये हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भविष्यदृष्टा बताते हुये उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है. कार्यक्रम में परम पूज्य सरसंघचालक ने जीएमआर वारालक्ष्मी फाउंडेशन द्वारा तैयार सीडी ‘टुवर्ड्स स्किलिंग इंडिया’ का लोकार्पण किया. यह सीडी फाउंडेशन की व्यावसायिक प्रशिक्षण पहल के अंतर्गत भारत को दक्ष बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है. जी मीडिया समूह के स्वामी श्री सुभाष चन्द्रा ने भारतीय परम्परा में दान के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि धर्म शास्त्र भी आय के छठवें भाग को सामाजिक कार्यों में लगाने का निर्देश देते हैं. संगम में लगी प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है, जिसमें संघ और सेवा भारती के विभिन्न सेवा कार्यों को बखूबी दर्शाया गया है.

Saturday, April 4, 2015

तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरू नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी ने निष्काम भाव से सेवा का आह्वान करते हुए कहा है कि सेवा का भारतीय दर्शन हर मनुष्य में ईश्वर देखता है, जबकि अन्य विश्वासों में सेवा के पीछे कोई न कोई निहितार्थ होता है. सेवा के बदले किसी भी उद्देश्य की पूर्ति करने से वह दूषित हो जाती है. समरसता नगर (जी.टी करनाल रोड, अलीपुर) के पू. बाला साहब देवरस सभागार में दूसरे राष्ट्रीय सेवा संगम के उद्घाटन सत्र में अपने ओजस्वी उद्बोधन में डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि दुर्बल वर्ग के हर अभाव को दूर करना समाज के समर्थ वर्ग का दायित्व है. उन्होंने कहा कि पहले चरण में हम चाहते हैं कि देश में कोई दीन-दुखी न रहे और दूसरे चरण में सारी दुनिया में ऐसी ही सुंदर स्थिति का निर्माण कर दें. सहसरकार्यवाह ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जन्मशताब्दी वर्ष 1989 के उस समय का स्मरण किया जब तत्कालीन सरसंघचालक परम पूज्य बाला साहब देवरस ने सेवा कार्य प्रारम्भ करने का संकल्प लिया था. उन्होंने बताया कि श्री देवरस ने अपने सहयोगी कार्यकर्ताओं से जानना चाहा था कि वंचित समाज के दुख-दैन्य को दूर करने के लिये क्या हम पांच हजार सेवा कार्यों से काम शुरू कर सकते हैं. उनका यह संकल्प अगले लगभग 7 वर्षों में न केवल पूरा हो गया बल्कि यह संख्या अब बढ़ कर डेढ़ लाख से अधिक हो गई है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि पांच वर्ष बाद होने वाले अगले संगम में यह संख्या दुगनी यानी तीन लाख हो जायेगी. उन्होंने परामर्श देते हुए कहा कि राष्ट्रीय सेवा भारती और संघ के स्वयंसेवक समाज की अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं तथा सेवाभावी सक्षम और सम्पन्न लोगों को साथ लेकर इस लक्ष्य को प्राप्त करें. डॉ. कृष्ण गोपाल ने पिछले एक हजार वर्ष के पराधीनताकाल के दौरान संचित समस्याओं के उन्मूलन के लिये अकबर कालीन कवि अब्दुल रहीम खान ए खाना जैसे कार्यकर्ताओं को तैयार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि उनका मन यहां की संस्कृति और प्राणिमात्र में ईश्वर के दर्शन में रच-बस गया था. पूज्य माता अमृतानंदमयी अम्मा ने अपने आशीर्वचन में शांति एवं संतोष से परिपूर्ण विश्व के निर्माण का आह्वान किया. उन्होंने प्रेम, करुणा और सेवा के निष्काम भाव पर जोर देते हुए कहा कि यदि सम्पन्नता और निर्धनता की बड़ी खाई को भरने में देर लगी तो हिंसा और युद्ध से नहीं बचा जा सकेगा. अम्मा ने बच्चों को सनातन सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा देने की सलाह देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त शिक्षकों को दो वर्ष ऐसी शिक्षा प्रदान करने के लिये स्वयं को समर्पित करने चाहिये. अम्मा ने राष्ट्रीय सेवा भारती की पत्रिका सेवा साधना का विमोचन भी किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सह सेवा प्रमुख श्री अजित प्रसाद महापात्र ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा भारती दुर्बल समाज के आंसू पोंछने के लिये अपेक्षित भाव पैदा करने के साथ ही उनमें स्वाभिमान जगाने का प्रयास कर रही है. संगम के लिये गठित स्वागत समिति के अध्यक्ष और जी मीडिया समूह के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्रा ने मंचस्थ महानुभावों और प्रतिभागी समस्त प्रतिनिधियों का स्वागत किया. मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोशी, व्यवसायी श्री अतुल गुप्ता जी, राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश टोंक उपस्थित थे. संगम में राष्ट्रीय सेवा भारती से सम्बद्द 850 संस्थाओं के लगभग चार हजार प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.