Friday, December 5, 2014

RSS Sarsanghchalak Dr. Mohan Rao Bhagwat expresses deep condolences Eminent Jurist Justice VR Krishna Iyer passes away in Kochi, With the passing away of Justice V. R. Krishna Iyer we have lost a great jurist, who had made seminal contributions to turn our judicial system into a vehicle of social justice. A great humanist, he will ever be remembered for the gifts he had made to improve the quality of our social life. It was only recently I had an opportunity of meeting him, which was an invigorating experience for me. What appealed me the most was his sense of purpose and unadulterated love for all, An erudite scholar, he was content with simple ostentatious living. I send my heart-felt condolences to his family and all those who loved and adored him. Vagish Issar (Ivsk Delhi) 09810068474 (sarve bhavantu sukhinah, sarve santu niramaya; sarve bhadrani pashyantu, ma kashchit dukkh bhagbhavet}

Thursday, December 4, 2014

On Oct 21, 2013 RSS Sarsanghchalak Mohan Bhagwat met Justice VR Krishna Iyer at his residence in Kerala. (FILE PHOTO) Eminent Jurist Justice VR Krishna Iyer passes away in Kochi, RSS expresses deep condolences Kochi December 04, 2014: Former Supreme Court judge VR Krishna Iyer (100) passed away on Thursday at the age of 100 in a private hospital in Kochi, Kerala. Iyer was suffering from some kideny related problems and was admitted in the hospital on November 24. He expired today at 3:30 pm. Rashtriya Swayamsevak Sangh expressed deep condolences on the demise of an eminent jurist. VR Iyer was one among them who appreciated RSS, its ideology and activities. RSS Sahasarakaryavah Dattatreya Hosabale expressed condolences , said” Great Soul, May the soul rest in peace”.
श्रीमदभगवद्गीता के 5151 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर परमपूज्य सरसंघचालक ने किया सबको अपनत्व देने का आह्वान नई दिल्ली. जियो गीता परिवार तथा दिल्ली की धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा यहां लाल किला मैदान में शुरू होने जा रहे गीता प्रेरणा महोत्सव के लिये भूमि पूजन किया गया. श्रीमदभगवद्गीता के 5151 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर 7 दिसंबर तक चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का विधिवत प्रारम्भ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परमपूज्य सरसंघचालाक डॉ. मोहन जी भागवत द्वारा लाल किला मैदान पर 2 दिसंबर को किया गया. परमपूज्य सरसंघचालक ने गीता के आलोक में जाति, पंथ, सम्प्रदाय, भाषा और प्रांत भेद को छोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि इन सबको छोड़ कर उस परमात्मा के प्रकाश में सबको अपनत्व देना चाहिये जो एक से अनेक बना है. डॉ. भागवत ने कहा, “ गीता के प्रसिद्ध वाक्यों में से दो का आचरण भी हमने किया तो हमारा और दुनिया का जीवन बदल जायेगा. पहली बात भगवान कृष्ण ने बताई कि ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ यानी जो भी काम तुम्हारा है, उसको सत्यम, शिवम्, सुन्दरम उत्तम करना. किसी भी कार्य को व्यवस्थित किया जाता है, समय पर किया जाता है, सुन्दर रीति से किया जाता है. सबको अच्छा लगे ऐसे किया जाता है और उसका पूरा परिणाम मिले, इतना किया जाता है, वह योग है”. “गीता में दूसरी महत्वपूर्ण बात कही गयी है- समत्वं योग उच्यते. सम रहो, संतुलित रहो, किसी एक ओर मत झुको, क्योंकि सब तुम्हारे हैं और कोई तुम्हारा नहीं है, वह आत्मा है, सर्वव्यापी है. सब समान हैं और सब में आप हैं. जात-पात, पंथ-सम्प्रदाय, भाषा-प्रांत यह सब छोड़ो. एक ही अनेक बना है. उस एकता के प्रकाश में सबको अपनत्व दो. यह जानकर रहो कि यह सब यहीं रहने वाले हैं, तुम स्वतन्त्र हो, अलग हो, स्वायत्त हो, तुम चले जाने वाले हो, इसलिये मोह में मत पड़ो. अनभिः स्नेह, ऐसा शब्द है गीता में. यह विषेश स्नेह मत करो, यह मोह होता है, पक्षपात होता है. स्नेह करो, अधिक स्नेह मत करो. अनभिस्नेही बनो”. “सबको समान देखते हुये, आत्म सर्वभूतेषु मानते हुये, कर्म और कर्तव्य करो. तुम्हारा कर्तव्य और कर्म लोक-संग्रह के लिये होना चाहिये., शरीर, मन और बुद्धि के पीछे भागने वाला, जीवन के सुखों में लोभ-लालच यह अज्ञान है. सावधान रहकर, यह जानकर, कि तुम वह लालची नहीं हो, तुम सब यह प्राप्त कर्तव्य के नाते कर रहे हो, तुम आत्मा से, मन से इससे अलिप्त रहो”. “तीसरी बात प्रसिद्ध है कि जो करते हो उसके परिणाम की मत सोचो. सबके साथ समदृष्टि रखकर, अपना कर्तव्य तुम कुशलतापूर्वक करते हो, उसका परिणाम या अपेक्षित परिणाम क्या होता है, यह बिलकुल मत सोचो, क्योंकि यह किसी के हाथ में नहीं. फ्लाइट जाने के लिये तैयार हो गयी, कोहरा आ गया, एक दो घण्टे के लिये, आप सबको अनुभव होगा इसका, इसमें दोष किसका, सबने अपना काम ठीक किया, लेकिन कोहरा आ गया. यह कौन तय कर सकता है? यह दुनिया का नियम है, दुनिया में यह होता रहता है, सब बाते तुम्हारे हाथ में नहीं रहतीं. तुम क्यों फल की आशा करते हो? कार्य अपने हाथ में है, फल प्रभु हाथ में”. “इसलिये गीता का संदेश है कि इन सब बातों को मन में स्थिर रखने के लिये, एकान्त में साधना करो. सत्य की साधना करो. सत्य की साधना करते चले जाओ-करते चले जाओ. और लोकान्त में यानि जगत में, बाहर के जीवन में फल की अपेक्षा किये बिना परोपकार और सेवा की भावना से निष्काम पुरुषार्थ करो. यह परिस्थिति के उतार-चढ़ाव में कभी विषम नहीं होता, संतुलन डिगता नहीं. मोह, आकर्षणों और विकृतियों में वह भटकता नहीं. ऐसे धीर पुरुष बनो. इसलिये लौकिक जीवन में उसको यश मिले या न मिले. सारी दुनिया को सही रास्ते पर चलने के लिये प्रकाश देने वाले दीप-स्तम्भ की भांति उसका जीवन रहे. उसके लौकिक जीवन को जन्म-जन्मान्तर लोग याद करते रहें. हमारे देश की स्वतन्त्रता के लिये 1857 से भी पहले 1833 में प्रयास शुरू हुआ था. लेकिन सफलता तो 1947 में ही मिली. इतने लम्बे समय में भगत सिंह को क्या कहेंगे, क्या उनको यश मिला? उनके लौकिक जीवन के यश की स्केल पट्टी पर लोग कहेंगे कि भगत सिंह ने बलिदान तो किया पर यशस्वी नहीं हुये. लेकिन भगत सिंह के लिये यश और अपयश क्या है और हमारे लिये भगत सिंह का यश और अपयश क्या है. उसका जीवन हमारे लिये सब जीवनों को मार्गदर्शन करने वाला एक दीप स्तम्भ है. हमारे इन सब क्रांतिकारियों में अनेक के हाथ में तो फांसी के फंदे पर झूलते समय हाथ में गीता थी”. गीता जयंती पर होने वाले कार्यक्रमों का परिचय देते हुए श्री ज्ञानानन्द जी ने बताया कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी एक ऐसी पावन तिथि है जो पूरे विश्व के लिये वंदनीय तिथि बन गयी है. मोक्षदा एकादशी इसी पावन तिथि को युद्ध भूमि में दोनों सेनाओं के बीच अर्जुन को निमित्त बनाकर सम्पूर्ण मानव मात्र, प्राणी मात्र के लिये गीता का दिव्य उपदेश हुआ. वह दिन आज का है. श्री ज्ञानानन्द जी ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज भगवदगीता के 5151 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस ऐतिहासिक अवसर का यह ऐतिहासिक स्थल लाल किला ऐतिहासिक वैश्विक प्रेरणा का साक्षी बना. उन्होंने कहा कि गीता प्रेरणा महोत्सव 7 दिसंबर को इसलिये यहां मनाया जायेगा क्योंकि श्री गीता जयंती के दिन अनेक संस्थाओं के अनेक स्थानों पर कार्यक्रम भी होते हैं. लेकिन ऐसा भी एक निश्चय हुआ कि श्री गीता जयंती के दिन विभिन्न नगरों में गीता जी की सम्मान यात्रायें निकलें, सब अपने अपने नगरों में श्री गीता जयंती के कुछ कार्यक्रम करें. हमने भी अपनी गुरुभूमि अम्बाला में तथा उसके पश्चात प्रातः काल ज्योतिसर से लेकर करनाल फिर पानीपत में एक विशाल गीता जी की सम्मान यात्रा निकाली और ऐसा प्रत्येक नगर में एक संदेश दिया गया. उन्होंने कहा कि आज सैकड़ों स्थानों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में गीताजी की सम्मान यात्रायें निकल रही हैं. उन्होंने यह भी बताया कि 6 तारीख को युवा और बाल चेतना के लिये युवा चेतना के कार्यक्रम युवान आयोजित किये जायेंगे. जिसमें युवाओं को युवा ऊर्जा, नशा मुक्त समाज, राष्ट्र निर्माण, स्वच्छता अभियान, माता-पिता बुजुर्गों के सम्मान की प्रेरणा युवाओं को दी जायेगी. इसी क्रम में 7 दिसंबर को लाल किला मैदान में राष्ट्र के प्रबुद्ध संत चेतना प्रेरणा देने के लिये उपस्थित होंगे, इसमें राष्ट्र के प्रमुख प्रबुद्ध लोग सम्मिलित रहेंगे. जिसमें यह संदेश दिया जायेगा कि गीता केवल ऐसा ग्रंथ नहीं है जो केवल पूजा के लिये है, अथवा मृत्यु के समय इसका अठ्ठारहवां अध्याय व्यक्ति को सुनाया जाये, बल्कि गीता घर-घर की शोभा बने, हर हृदय की शोभा बने, जीवन में इसको उतारा जाये, हर विद्यालय में, कार्यालय, चिकित्सालय में, न्यायालय में यह गीता पहुंचे. ऐसी आज हर क्षेत्र को आवश्यकता है. इस अवसर पर संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार जी ने गीता जयंती पर देश भर में होने वाले विभिन्न आयोजनों की जानकारी देते हुए कहा की इनसे गीता के मूल्यों की जनमानस में स्थापना होगी.

Wednesday, November 12, 2014

Pledged to end Untouchability and Casteism, 2-day historic Sant Sammelan concludes at Tumakuru November 12, 2014 | Tumakuru November 12: With a clear message to stop prompted religious conversion and pledged to end social evils like untouchability and casteism within Hindu Society, the 2-day historic Sant Sammelan concluded in Tumakuru of Karnataka on Wednesday evening. The 2-day Sant Sammelan on Nov 11 and 12, 2014 (Conclave of Swamijis and Pontiffs) was organised by Vishwa Hindu Parishad as a part of its Golden Jubilee celebration. The Sant Sammelan passed resolution on 5 major issues of socio-religious significance. Due to health reasons VHP veteran Ashok Singhal could not attend the Sammelan. He was expected to deliver the valedictory address. Nearly 600 Swamijis representing various religions of Hindu Society gathered at the Sant Sammelan. The Sant sammeklan ianugurated by Sri Dr Shivakumar Swamiji of Siddaganga Matha along with RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat at Siddaganga Matha, Tumakuru on Tuesday morning. Resolutions Passed at Sant Sammelan: 1. Complete ban on export of cattle meat in Bharat. Govt should not give licence to new cow slaughter houses in Bharat. 2. Declare Cow as ‘National Animal of Bharat’ and make Bharat ‘a nation free from cow slaughtering’. 3. To implement Uniform Civil Code. 4. Legal measures to stop religious conversions. 5. Demand to central govt to withdraw “Medical Termination of Pregnancy Amendment Bill 2014, 12015/49/2008 draft dated 29.10.2014″ Several Swamijis expressed and shared their concerns on emerging socio-religious challenges within and infront of Hindu society. As a Common issue, every Swamijis unequivocally opposed all attempts of religious conversion. Swamijis expressed their concerns to take strong measures to immediately stop all activities which are directly or indirectly promotes conversion. Swamijis also demanded stratergirs in enhancement on reconverting the converted back to Hindu faith (Paravartan). Swanijis also demanded a unity amognst all comminities of Hindu society to fight against social evils like untouchability annd casteim. Dr Shivakumar Swamiji of Siddaganga Matha Tumakuru, Sri Vishwesha Theertha Swamiji of Pejawara Matha Udupi, Sri Nirmalanathananda Swamiji of Adichunchanagiri Matha, Sri Shivaratri Deshikendra Swamiji, Sri Sri Ravishankar of Art of Living, Sri Shivarudra Swamiji of of Beli Matha Swamiji , Sri Gangadhareshwara Swamiji of Swarnavalli Sonda Matha, Dr Veerendra Heggade of Dharmasthala, Sri Siddhalinga Swamiji of Siddaganga Matha, Sadhwi Umabharati of Nelamangala Siddhaaroodha Matha, Sri Paradeshikendra Swamiji of Tiptur, Dr Veereshananda Swamiji of Ramakrishna-Vivekananda Ashrama, Sri Vidyaranya Swamii of Hampi, Sri Namadevananda Swamiji of Gondi, Sri Rudramuni Shivacharya Swamiji of Kadur, Sri Mummadi Nirvana Swamiji of Kanakapura, Sri Subudendra Swamiji of Mantralaya. Sri Vidyaprasanna Swamiji of Kukke Subrahmanya and others several prominent Swamijis were present during the Sant Sammelan. VHP’s International Secretary Champat Roy, VHP Chief of Karnataka Prof MB Puaranik, VHP Veteran YK Raghavendra Rao, VHP organising secretary Gopal Nagarakatte and other prominent leaders were present. Vagish Issar (Ivsk Delhi) 09810068474 (sarve bhavantu sukhinah, sarve santu niramaya; sarve bhadrani pashyantu, ma kashchit dukkh bhagbhavet}

Tuesday, November 11, 2014

RSS-Vagish Issar: Tumakuru, Karnataka November 11: Dr Shivakumar Swa...

RSS-Vagish Issar: Tumakuru, Karnataka November 11: Dr Shivakumar Swa...: Tumakuru, Karnataka November 11: Dr Shivakumar Swamiji of Siddaganga Matha along with RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat inaugurated...
Tumakuru, Karnataka November 11: Dr Shivakumar Swamiji of Siddaganga Matha along with RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat inaugurated historic Sant Sammelan at Siddaganga Matha on Tuesday morning, which was organised by Vishwa Hindu Parishat as part of its Golden Jubilee celebration. Nearly 600 Swamijis, Sants of various representing various religions of Hindu Society gathered at the Sant Sammelan. Dr Shivakumar Swamiji of Siddaganga Matha Tumakuru, Sri Vishwesha Theertha Swamiji, Sri Nirmalanathananda Swamiji of Adichunchanagiri Matha, Sri Shivaratri Deshikendra Swamiji, Sri Sri Ravishankar of Art of Living, Sri of Beli Matha Swamiji , Swarnavalli Sonda Swamiji, Dr Veerendra Heggade off Dharmasthala and many other prominent Swamijis were on the dias. VHP International General secretary Champat Roy said” VHP is organising this event during 50th year of celebration, mainly to discuss several issues haunting hindu society. We have to discuss several issues of Socio-treligious importance. Sant community have high potentiality to solve all problems which the Hindu society is facing “. Dr Shivakumar Swamiji of Siddaganga Matha applauded the efforts of Vishwa Hindu Parishad during his inaugural address. RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat delivered key note address. ‘Bharat is the source of universal spiritual unity. I request all Swamijis here to analyse and discuss the values of spirituality to be filled in life of each citizen of Bharat. We need to discuss are the programs to be organised and steps to be taken to implement these values by which the one is misguided (Pathabhrasht) should be corrected and guided properly.This task has be done only through Swamiji’s efforts. RSS-VHP will be there in the supporting background with our social activities. If Sant-Swamijis are leading the society, we will be there following the religious leadership’ said Mohan Bhagwat. ‘Few forces of the world want to dissect Hindu society. Such forces took away our own people. These people later became the made to become the enemies of Hindu society. We need to remind them that they were part of Hindu society and efforts are to be made to bring them back to the mainstream of Hindu society’ added Bhagwat. ‘We are the believers of Vasudhaiva Kutumbakam concept. For an Hindu no one is Paraaya (outsider) in Hindu society. Each religious sector of India should make this concept clear amongst themselves. They should educate everyone in their community about this wide concept. From the minds of the people, the narrow thoughts of casteism should be eradicated. We need show a mirror which images the unity to each Hindu. Such a task can be effectively taken by Sant- Swamiji’s of the Hindu Society’ said RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat. Mohan Bhagwat released a book authored by senior RSS Pracharak Chandrashekhar Bhandari on Vishwa Hindu Parishat. Bhagwat also released a special issue published by leading Kannada Daily by ‘Santa Samagama’ and Kannada weekly Vikrama’s ‘Santa Parampare’ during the occasion. Sri Sri Ravishankar Guruji of Art of living expressed his concerns on growing religious conversions across jails in India. Sri Sri opinioned that there should be effective measures should be adopted to stop conversion He also told that ‘population in India is not a curse but a boon. The society should seriously come forward to eradicate social evils like blind believes, casteism”. Sri Nirmalanandanatha Swamiji of Adichunchanagiri Matha, Madara Sri Basavamurthy Chennayya Swamiji of Chitradurga, Sri Swarnavalli Swamiji of Sonda Matha, Sadhvi Umabharati of Nelamangala, Sri Santhosh Guruji addressed during the inaugural session. RSS top leaders including Mai Cha Jayadev, Mangesh Bhende, Pranth Sanghachalak M Venkataram, Dr Kalladka Prabhakar Bhat, Kajampady Subramanya Bhat, Pranth Karyabah N Tippeswamy, Sah Prant Karyavah BV Sreedharaswamy, Pranth Pracharak Mukunda, Sah Pranth Pracharak Sudhir, VHP’s Gopal, YK Raghavendra Rao, Keshava Hegade and several others were present. Afternoon at 3.30pm RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat attended an interactive session with Swamijis, discussed several socio-religious issues. The tw0-day Sant Sammelan will conclude tomorrow on Wednesday Nov-12, in which VHP Veteran Ashok Singhal will address the valedictory.

Wednesday, November 5, 2014

संस्कृतसंवर्धनप्रततष्ठानम् SAMSKRIT PROMOTION FOUNDATION Vedabhavanam, 11204/5, 2nd Floor, Gaushala Marg, Mandir Marg, Doriwalan, Delhi – 110006 Phone :011-23632323 http://samskritpromotion.in Email: samskritpromotion@gmail.com 05-November 2014 संस्कृतसंवर्धनप्रततष्ठान का नया उपक्रम करोलबाग (डोरी वालान) में तस्ित संस्कृतसंवर्धनप्रततष्ठानम् तवगत चार वर्षों से संस्कृत-तिक्षण की गुणवत्ता बढाने एवं उसे आकर्षधक बनाने में संलग्न है। संस्कृत में तनतहत वैज्ञातनक ज्ञान एवं आर्षध तवर्षयों को सरल तरीके से तवश्व-पटल पर रख कर लोकोपयोगी बनाना प्रततष्ठान का मुख्य उद्देश्य है। संस्कृततिक्षण को सरल, सुगम व उद्देश्यपूणध बनाने हेतु प्रततष्ठान में नवतनर्ममत ध्वतनकक्ष एवं तिक्षकप्रतिक्षण कक्ष का उद्घाटन के.मा.ति.बो. की िैक्षतणक तनर्देतिका डा. सार्ना पारािर के द्वारा ५ नवम्बर २०१४ को संपन्न हुआ। इस अवसर पर उन्होंने कुछ योगसूत्रों का उच्चारण भी ककया। उन्होंने कहा कक संस्कृत के प्रसार एवं प्रचार हेतु नवतनर्ममत तकनीकी उपक्रमों का प्रयोग अतनवायध है ,अतः यह हर्षध का तवर्षय है कक संस्कृत प्रततष्ठान इसमें पूणधतया संलग्न है।प्रततष्ठान के कायों की झलकी र्देख कर उन्होंने इसके कायधक्रमों को अध्यापकों के प्रतिक्षण हेतु अत्यन्त उपयोगी बताया। उनका मानना िा कक ककसी कायध में तसद्धता हेतु तनरन्तर अभ्यास अतनवायध है।उन्होंने एक प्रतसद्ध पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कक तनपुणता हेतु र्दस वर्षध/र्दस सहस्र घंटों तक की कठोर सार्ना अतनवायध-सी हो जाती है। संस्कृत संवर्धन प्रततष्ठान इसके प्रतत प्रततबद्ध है,यह हर्षध का तवर्षय है। इस अवसर पर डा. तवनीता खेर (तनर्देतिका, मानवसंसार्नतवकासकेन्र,डी पी एस),मीनू ततवारी(प्रर्ानाचायाध,सी आर पी एफ) श्री कीर्मत िमाध, श्री वागीि िमाध (आयधसमाज,करोलबाग एवं डोरीवालान),श्री प्रर्दीप गोल इत्याकर्द गणमान्यों सतहत संस्कृतभारती एवं प्रततष्ठान के सर्दस्य व कायधकताध भी उपतस्ित िे। कायधक्रम की अध्यक्षता प्रततष्ठान के िैक्षतणक तनर्देिक ने की। संस्कृतसंवर्धनप्रततष्ठानम् SAMSKRIT PROMOTION FOUNDATION Vedabhavanam, 11204/5, 2nd Floor, Gaushala Marg, Mandir Marg, Doriwalan, Delhi – 110006 Phone :011-23632323 http://samskritpromotion.in Email: samskritpromotion@gmail.com Inauguration of Recording Studio and Teacher Training facilities Samskrit Promotion Foundation is committed to improve the interest and quality in Samskrit "Teaching-Learinng" process. Foundation leverages the technology to bring forth the knowledge in Samskrit. Taking one more step in this direction, SPF inaugurated the 'Recording Studio & Teacher Training' facilities at its current premises, Vedabhavanam, 11204/5, Gaushala Marg, Doriwalan, Delhi - 110006. Inaugurating the facility on Wednesday, the 5th November 2014,Dr. Sadhana Parashar, Director CBSE recited the Yogasutras. She recalled the importance of Samskrit in all ages and emphasized connecting Samskrit with Technology and making it available in all devices and media. The world looks forward to Samskrit for solutions due to treasures of experiences of its civilization. She recollected that it takes 10 years of preparation or 10000 hours of practice to prepare a world class expert. All stake holders in Samskrit education need to be trained extensively in use and applying technology. Dr. Chand Kiran Saluja, Director Academics presided over the function. Dr. Vineeta Kher (Director, HR-DPS), Ms Meenu Tiwari(Principal, CRPF Public School, Dwarka Delhi), Shri Keerti Sharma & Shri. Vaghish Issar (Arya Samaj), Shri Pradeep Goal (Samskrita Bharati) and many other dignitaries participated in the function.

Monday, September 29, 2014

परमपूज्य सरसंघचालक का सत्य आधारित जीवन जीने का आह्वान सोनीपत (हरियाणा). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा है कि मनुष्य को अपना और अन्य जीवों का कल्याण करना है तो उसे सत्य पर आधारित जीवन जीना होगा. सत्य है कि आत्मा एक है और यही आत्मा परमात्मा है. यही आत्मा हर जीव के में विद्यमान है. परमात्मा की सेवा करना ही हमारा लक्ष्य है. इसलिये सारी दुनिया के सुख के लिये हमारा जीवन है. जब हम ऐसा करते हैं तो हमारा जीवन उपयोगी होता है, सुख देता है और दुनिया का भी भला करता है. डा. भागवत ने यह भी कहा कि हिन्दू वही है, जो सबके सुख और उन्नति की कामना करता है और सृष्टि के सभी जीवों को समान भाव से देखता है. यहां भगवान महावीर इन्सटीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 25 से 28 सितम्बर तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत द्वारा युवा संकल्प शिविर आयोजित हुआ. शिविर में दिल्ली के वे स्वयंसेवक शामिल हुये, जो किसी न किसी महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों की कुल संख्या 2028 थी. शिविर की विशेषता यह थी कि सभी स्वयंसेवक अपने खर्चे पर आये थे. चार दिवसीय इस शिविर में छात्रों ने जहां विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया, वहीं उन्हें परम-पूज्य सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत एवं वरिष्ठ प्रचारकों का मार्गदर्शन मिला. शिविर का औपचारिक उद्घाटन 26 सितम्बर को प. पू. डॉ. भागवत ने दीप प्रज्वलित कर किया. उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे प्रसिद्ध वैज्ञानिक और परमाणु आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोदकर. मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा भी उपस्थित थे. डॉ. अनिल काकोदकर ने युवाओं को संबोधित करते हुये कहा कि अच्छी शिक्षा प्राप्त कर उस शिक्षा का राष्ट्र के हित में उपयोग करें और कुछ ऐसा कर दिखायें कि हमारे न रहने से भी हमारे कार्य का प्रभाव समाज पर दिखे. इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य, अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री अनिल ओक, क्षेत्रीय प्रचारक श्री रामेश्वर, सह क्षेत्र प्रचारक श्री प्रेम कुमार, क्षेत्र कार्यवाह श्री सीताराम व्यास, सह क्षेत्र कार्यवाह श्री विजय कुमार सहित अनेक वरिष्ठ प्रचारक और कार्यकर्ता उपस्थित थे. शिविर के दूसरे दिन 'राष्ट्र उत्थान में प्राध्यापकों की भूमिका' विषय पर एक गोष्ठी आयोजित हुई. गोष्ठी को संबोधित करते हुये परम-पूज्य सरसंघचालक डा. मोहन जी भागवत ने कहा कि आज राष्ट्र निर्माण का काम संघ कर रहा है, लेकिन कुछ लोगों को संघ के विषय में ठीक प्रकार से जानकारी नहीं है. कार्यक्रम के मध्य में प्रश्नोत्तर का भी कार्यक्रम था. जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक भूपेश कुमार ने सरसंघचालक से पूछा कि संघ समाज के हर अच्छे काम का सहभागी है लेकिन प्रचार क्यों नहीं करता? इस प्रश्न पर सरसंघचालक ने कहा कि हमारा अपना प्रचार का तंत्र है. हम घर-घर जाते हैं, लोगों से मिलते हैं और अपना कार्य करते हैं. एक प्राध्यापक ने सवाल किया कि आज हम डॉ. और इंजीनियर बनाते जा रहे हैं, लेकिन इसका परिणाम यह हो रहा है कि वे राष्ट्र भाव से दूर होते जा रहे हैं? इस पर श्री भागवत ने कहा कि सबसे पहले अपने बच्चों की इच्छा को जानना चाहिये. अधिकतर परिवारों में बच्चों पर दबाव होता है कि आपको इन क्षेत्रों मंी ही जाना है, पर बच्चों की रुचि किसी अन्य क्षेत्र में होती है. जब वे अपनी रुचि के क्षेत्र में नहीं जाते हैं, तो इन क्षेत्रों में आकर उनका एक ही उद्देश्य होजाता है धन अर्जित करना और इसी के चलते वे धन के लालच में राष्ट्र भाव से दूर होते चले जाते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ से जुड़े राकेश कंवर ने प्रश्न किया कि उन पर आरोप लगने लगता है कि वे राजनीतिक हैं. इस पर सरसंघचालक ने कहा हम राष्ट्र की बात करने वालों का समर्थन करते हैं. जो राष्ट्र की बातें करता है संघ उसके साथ है. अच्छे काम के लिये संघ सभी के साथ है. गोहत्या बंद हो, राम मंदिर का निर्माण हो, यह हमारा कार्य है. संघ से जुड़ने वालों को अलग नजर से देखा जाये यह स्वाभाविक है. कार्यक्रम के अन्त में प्राध्यापकों को संबोधित करते हुये मोहन जी भागवत ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है.शिक्षक को आज शिक्षार्थियों को बताना है कि सत्य पर ही रहना है किसी भी परिस्थिति में सत्य से नहीं डिगना है. चाहे कितने ही संकट क्यों न आयें. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त और दिल्ली प्रान्त के प्रान्त कार्यवाह श्री भरत भूषण सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे. शिविर का समापन 28 सितम्बर को हुआ. समापन समारोह को सम्बोधित करते हुये परम पूज्य सरसंघचालक ने कहा कि संघ को समझना है तो डॉ. हेडगेवार के जीवन को समझो और डॉ. हेडगेवार को समझना है तो संघ को समझो. उन्होंने अपने खून को पानी कर संघ के लिये काम किया. हिन्दू समाज को संगठित किया. यदि आप उनके बौद्धिकों को पढ़ें तो उन्होंने परिस्थितियों के बारे में बहुत कम कहा है. हमें क्या करना चाहिये, इस बारे में उन्होंने सबसे ज्यादा कहा है. संघ में व्यक्ति वंदना नहीं होती, बल्कि संघ कौटुम्बिक आधार पर चलता है. संघ आत्मीयता से चलता है. उन्होंने एक लघु कथा के जरिये स्वयंसेवकों को जीवन में सक्रिय रहने व अपने उद्देश्य के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया. श्री भागवत ने कहा कि संघ में हमारा रिश्ता नेता कार्यकर्ता का नहीं होता, बल्कि एक कुटुंब में आत्मीयता से रहने का होता है. हमें अपने दायित्व को पूरी निष्ठा के साथ निभाना चाहिये. दायित्व छोटा या बड़ा नहीं होता. इसलिये आपको जो भी दायित्व मिले, उसे सर्वश्रेष्ठ मानकर पूरी ईमानदारी से अपने कार्यको करना चाहिये. संघ के स्वयंसेवक को पहले संघ बनना पड़ता है. संघ के आचरण को अपने जीवन में उतारना पड़ता है. संघ के कार्य को आगे बढ़ाने के लिये हमें निरंतर में सक्रिय रहना चाहिये. तभी संघ का कार्य आगे बढ़ेगा. कार्य करने से ही कार्य आगे बढ़ता है, सिर्फ योजना बनाने से नहीं. इसलिये यदि स्वयंसेवक अपने कार्य के प्रति ईमानदारी से सक्रिय रहेंगे तो संघ का कार्य कर सकेंगे.

Tuesday, September 23, 2014

भारतीय मंगल अभियान की सफलता पर बधाइयाँ CONGRATULATIONS ISRO CREATES HISTORY INDIA IS NOW THE FIRST COUNTRY IN THE WORLD TO REACH MARS'S ORBIT IN THE FIRST ATTEMPT.

Friday, September 19, 2014

चीन के राष्ट्रपति का भारत में आगमन--- डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री पहली ख़बर - सत्रह सितम्बर को चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग भारत में आ गये । दूसरी ख़बर- उससे एक दो दिन पहले चीन की सेना के सैनिक लद्दाख में भारतीय सीमा में घुस आये । तीसरी ख़बर- सत्रह सितम्बर को ही अपने देश की आज़ादी के संघर्ष में लगे हुये तिब्बतियों ने दिल्ली में चीन के दूतावास के सामने मोर्चे संभाल लिये । वे माँग कर रहे हैं कि चीन तिब्बत से निकल जाये और उनके देश को आज़ाद करे । चीन के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जब भी भारत आते हैं तो ये तीनों समाचार एक साथ प्रकाशित होते हैं । किसी समाचार को कितनी महत्ता देनी है , यह या तो समाचार समूह का मालिक तय करता है या फिर उसमें थोड़ी बहुत सरकार की भूमिका भी रहती ही होगी । लेकिन ये तीनों घटनाएँ एक साथ क्यों होती हैं ? ख़ासकर चीन के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति के आने के साथ साथ ही चीन की सेना भी भारतीय सीमा में घुसपैठ क्यों करती है ? विदेश नीति संचालित करने की यह चीन की अपनी विशिष्ट शैली है । चीन मामलों के एक सिद्धहस्त विद्वान ने अपनी एक पुस्तक में एक घटना का ज़िक्र किया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी चीन से यही सवाल पूछा था कि चीन भारत में घुसपैठ क्यों करता है ? तो चीन का उत्तर था , केवल प्रतिक्रिया जानने के लिये । इसका अर्थ हुआ कि चीन भारत की प्रतिक्रिया देख समझ कर ही अपनी विदेश नीति , रणनीति व कूटनीति निर्धारित करता है । इस लिये इस बात से चिन्तित होने की जरुरत नहीं है कि चीन के राष्ट्रपति के साथ साथ चीन की सेना भी लद्दाख के चमार क्षेत्र में पहुँच गई है । वहाँ उससे किस प्रकार सुलझना है , भारत की सेना उसमें सक्षम है ही । लेकिन असली प्रश्न यह है कि कुल मिला कर भारत सरकार की प्रतिक्रिया क्या है ? लेकिन इससे पहले संक्षेप में यह जान लेना भी जरुरी है कि भारत का चीन के साथ झगड़ा क्या है और उसका कारण क्या है ? वैसे तो चीन और भारत के बीच विवाद का कोई कारण नहीं होना चाहिये था क्योंकि दोनों देशों की सीमा आपस में कहीं नहीं लगती । दोनों के बीच में तिब्बत पड़ता है । लेकिन १९४९ में चीन के गृहयुद्ध का अन्त हुआ और देश की सरकार पर माओ के नेतृत्व में चीन की साम्यवादी पार्टी का क़ब्ज़ा हो गया तो चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया और धीरे धीरे पूरे तिब्बत पर क़ब्ज़ा कर लिया जिसके फलस्वरूप वहाँ के शासनाध्यक्ष चौदहवें दलाई लामा को भाग कर भारत में आना पड़ा । उनके साथ लगभग एक लाख और तिब्बती भी भारत में आये । तिब्बत पर क़ब्ज़ा कर लेने के बाद चीन भारत का पड़ोसी देश बन गया और उसने भारत व तिब्बत के बीच की सीमा रेखा को मानने से इन्कार कर दिया । यह सीमा रेखा मैकमहोन सीमा रेखा कहलाती है और इस पर १९१४ में भारत व तिब्बत के बीच सहमति बनी थी । लेकिन चीन इस सीमा रेखा को अमान्य कर चुप नहीं बैठा , उसने १९६२ में भारत पर आक्रमण भी कर दिया और उसकी हज़ारों वर्गमील भूमि पर अभी भी क़ब्ज़ा किया हुआ है । इस आक्रमण के बाद दोनों देशों के दौत्य सम्बंध समाप्त हो गये । लेकिन १९७५ में आपात स्थिति लागू हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गान्धी ने फिर से चीन के साथ सम्बंध बनाने की शुरुआत की । परन्तु दोनों देशों के बीच सम्बंधों को बढ़ाने के काम में तेज़ी राजीव गान्धी के राज्यकाल में आई और इसमें नटवर सिंह अपनी भूमिका मुख्य मानते हैं । इसका कारण भी वे ख़ुद ही बताते हैं कि राजीव गान्धी को विदेश नीति की ज़्यादा समझ नहीं थी । इसका अर्थ हुआ कि राजीव गान्धी की अज्ञानता का लाभ उठा कर कुछ लोगों ने विदेश नीति के मामले में पलड़ा चीन के पक्ष में झुकाने की कोशिश की । उसके बाद ही चीन ने भारतीय सीमा में अपनी सेना की घुसपैठ को भारत के प्रति अपनी रणनीति व विदेश नीति के साथ जोड़ना शुरु किया । अभी तक चीन विदेश नीति के मामले में एजेंडा निर्धारित करने वाला रहा है । भारत चीन द्वारा किये जाने वाले काम पर प्रतिक्रिया जिताने का काम करता रहा है । उदाहरण के लिये चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा घोषित करता है तो भारत उसे बयान देकर नकारता है । चीन अरुणाचल के लोगों को भारतीय पासपोर्ट पर नहीं बल्कि एक अलग काग़ज़ पर बीजा देता है तो भारत उसे अमान्य कर देता है । चीन ने जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान द्वारा क़ब्ज़ाये गये भू भाग के एक हिस्से को पाकिस्तान से ले लिया है और अप्रत्यक्ष रुप से वह जम्मू कश्मीर मामले में भी एक पक्ष बनने का प्रयास करता है तो भारत उसे बयान से नकारता है । गिलगित बल्तीस्तान में चीन की सेना किसी न किसी रुप में बैठ गई है । चीन ब्रह्मपुत्र पर तिब्बत के क्षेत्र में बाँध बना रहा है । भारत इधर उधर का बयान देकर महज़ अपनी चिन्ता जिता देता है । लेकिन जब तिब्बत के भीतर सौ से भी ज़्यादा भिक्षु और छात्र अहिंसक तरीक़े से स्वतंत्रता संघर्ष करते हुये आत्मदाह करते हैं तो भारत मानवीय अधिकारों के इस हनन पर चिन्ता भी ज़ाहिर नहीं करता । परन्तु जब चीन की सेना भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करती है तो महज़ बयान देने से तो काम नहीं चल सकता । उस वक़्त भारत सरकार की प्रतिक्रिया रहती है कि तुम भी पीछे हट जाओ और हम भी पीछे हट जायेंगे । यही चीन के अनुकूल है । वह तो भारतीय क्षेत्र से पीछे हट कर अपने पूर्ववत स्थान पर लौटता है लेकिन भारत के सैनिक अपने ही क्षेत्र में चीन के तुष्टीकरण के लिये पीछे हट जाते हैं । इस तरीक़े से हम चीन से शान्ति ख़रीदते हैं । द्विपक्षीय बातचीत में भारत तिब्बत का प्रश्न तो कभी उठाता ही नहीं , सीमा विवाद पर भी उसके शब्द नपे तुले ही होते हैं ताकि रिकार्ड भी बना रहे और चीन भी संतुष्ट रहे । यह भारत सरकार की अब तक की चीन को लेकर विदेशनीति व रणनीति का सारा संक्षेप रहा है । लेकिन दिल्ली में पहली बार पूर्ण बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है और उसका नेतृत्व नरेन्द्र मोदी ने संभाला है । नई सरकार के आने से लगता है चीन के मामले में पहली भारत एजेंडा सेटर की भूमिका में आया है । नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में निर्वाचित तिब्बती सरकार के लोकतांत्रिक पद्धति से चुने गये प्रधानमंत्री डा० लोबजंग सांग्ये को बुलाया ही नहीं गया बल्कि वहाँ उन्हें सम्मानजनक स्थान भी दिया गया । भारत का मीडिया इस नीति परिवर्तन को कितना समझ पाया और कितना नहीं , इस पर बहस करने की जरुरत नहीं है लेकिन चीन, नीति में बदलाव के इस सूक्ष्म संकेत को तुरन्त समझ गया और उसने इस पर अपना विरोध भी दर्ज करवाया । इसी प्रकार चीन के राष्ट्रपति के भारत आगमन से पूर्व भारत के प्रधानमंत्री को किन किन देशों की यात्रा कर लेनी चाहिये , नरेन्द्र मोदी ने इसका चयन भी अत्यन्त सावधानी व दक्षता से किया । कूटनीति में बहुत सी बातचीत संकेतों के माध्यम से ही की जाती है । नरेन्द्र मोदी ने उन संकेतों का प्रयोग बहुत ही कुशलता से किया । चीन के राष्ट्रपति हिन्दोस्तान में आयें उससे पहले मोदी भूटान, नेपाल और जापान गये । भूटान व नेपाल को चीन लम्बे अरसे से विभिन्न मुद्राएँ बना बना कर अपने पाले में खींचने की कोशिश कर रहा है । उसमें उसे किसी सीमा तक सफलता भी मिली । लेकिन मोदी की काठमांडू और थिम्पू में हाज़िरी ने चीन को स्पष्ट कर दिया कि इन क्षेत्रों को आधार बना कर भारत की घेराबन्दी की अनुमति नहीं दी जा सकती । मोदी के माध्यम से शायद पहली बार भारत ने इन देशों में अपने सांस्कृतिक आधारों को प्राथमिकता दी । इससे पहले भारत सरकार सांस्कृतिक सम्बंधों को साम्प्रदायिकता ही मान कर चलती थी । लेकिन चीन को साफ़ और स्पष्ट संकेत मोदी की जापान यात्रा से ही मिले । चीन का जापान के साथ भी क्षेत्रीय सीमा को लेकर विवाद चलता रहता है । चीन को सबसे ज़्यादा चिन्ता जापान से ही रहती है , ख़ास कर तब जब जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में तबाह हो जाने के बाद भी दुनिया की अर्थ शक्तियों में अपना एक मुक़ाम हासिल कर लिया । जापान में जाकर बोला गया एक एक शब्द , चीन के लिये अपने ख़ास मायने रखता है । वहाँ जाकर मोदी ने चीन का नाम लिये बिना स्पष्ट कहा कि कुछ देश तो विकासवादी हैं और कुछ विस्तारवादी हैं । विस्तारवादी भी ऐसे जो सागर में भी अपनी धौंस ज़माना चाहते हैं । चीन की सरकारी अख़बार ने भी संकेत किया कि मोदी का संकेत चीन की ओर ही था । चीन वियतनाम और चीन के बीच के दक्षिण चीन सागर के अन्तर्राष्ट्रीय जल को भी अपना मान कर दादागिरी दिखा रहा है । वियतनाम ने इसका विरोध किया । उसने उस क्षेत्र में तेल तलाशने का कांन्ट्र्क्ट भारत के साथ किया । चीन इस का विरोध कर रहा है । नरेन्द्र मोदी ने इसका दो तरह से उत्तर दिया । जापान में विस्तारवादी का संकेत करने वाला बयान देकर और इधर जब चीन के राष्ट्रपति भारत आये तो उधर भारत के राष्ट्रपति को वियतनाम भेज कर । चीन इन संकेतों के अर्थ नहीं लगायेगा , ऐसी कल्पना करना बेमानी होगा । इतना सारा होम वर्क कर लेने के बाद नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति को भारत बुलाया है । पहली बार विश्व देख रहा है कि भारत की इस पहल पर चीन की क्या प्रतिक्रिया है ? नहीं तो आज तक साँस रोक कर इसी बात का इंतज़ार होता था कि चीन क्या एक्शन करता है । कुछ लोग कह सकते हैं कि चीन ने तो लद्दाख में घुसपैठ कर अपनी प्रतिक्रिया जता दी है । वास्तव में यह चीन की प्रतिक्रिया नहीं है बल्कि काँठ कि हांडी को एक बार फिर चूल्हे पर चढ़ाने का प्रयास है । वह भी इस लिये कि भारत ने पहली बार साफ़ स्पष्ट शब्दों में यह घोषणा कि है कि उत्तरी सीमा पर वह अपना संरचनात्क व सुरक्षात्मक ढाँचा मज़बूत करेगा । इस बार भारत का रवैया सुरक्षात्मक नहीं बल्कि अपनी सीमाओं को लेकर स्पष्ट व प्रतिबद्धात्मक दिखाई देता है । चीन भारत की इस नई विदेश नीति की भाषा को कितना समझ पाता है , यह तो बाद की बात है लेकिन इतना तो वह समझ ही गया लगता है कि भारत के नये निज़ाम की भाषा नई है , भारत के हितों की भाषा है , के.एम पणिक्कर के युग की वह भाषा नहीं है जो दिल्ली में बैठ कर भी चीन के हितों और उसकी नाराज़गी को लेकर अपना व्याकरण तय करती थी । भारत की इस पहल से पहली बार परिदृंष्य बदला है । ऐसा भी दिखाई देने लगा है कि जापान और चीन में भारत में निवेश करने को लेकर होड़ लग गई हो । जापान ने जितनी धनराशि के निवेश की घोषणा की है , चीन ने उससे लगभग तीन गुना ज़्यादा धनराशि निवेश करने का इरादा जिताया है । चीन और भारत के बीच जो व्यापार होता है , उसके बीच एक संतुलन अवश्य बनना चाहिये । चीन का घटिया और सस्ता माल भारत के लघु उद्योंगों को तबाह कर रहा है , उसको लेकर भी पहल होनी ही चाहिये । सब समस्आयों का हल संभव है , लेकिन तभी यदि भारत चीन के साथ बराबरी के स्तर पर बैठ कर बातचीत करता है । नरेन्द्र मोदी के युग में यही हुआ है । पहली बार सीमा को लेकर कोई ठोस पहल होने की संभावना बनी है । इसका स्वागत किया जाना चाहिये । भारत सरकार को यह भी ध्यान में रखना हेगा कि १४ नबम्वर १९६४ में संसद ने सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया था कि चीन से क़ब्ज़ाये गये भारतीय भू भाग की एक एक ईंच भूमि छुड़ाई जायेगी । मोदी ने शायद इसी लिये कहा है कि चीन के राष्ट्रपति की यह यात्रा ईंच से शुरु करके मीलों तक जा सकती है । लेकिन क्या यह वही १९६२ के संकल्प वाला ईंच है ?

Thursday, September 11, 2014

RSS-Vagish Issar: RSS Sarkaryavah Man. Bhayya ji Joshi appeal for Ja...

RSS-Vagish Issar: RSS Sarkaryavah Man. Bhayya ji Joshi appeal for Ja...: RSS Sarkaryavah Man. Bhayya ji Joshi appeal for Jammu and Kashmir flood relief. मा. सरकार्यवाह सुरेश (भय्या) जी जोशी का आवाहन जम्मू-कश्म...
RSS Sarkaryavah Man. Bhayya ji Joshi appeal for Jammu and Kashmir flood relief. मा. सरकार्यवाह सुरेश (भय्या) जी जोशी का आवाहन जम्मू-कश्मीर राज्य में प्राकृतिक विनाश लीला के रूप में आई भयंकर बाढ़ में सौ से अधिक लोगों की जानें गईं, लाखों की संख्या में लोग स्थान-स्थान पर फँसे हैं तथा अनेक गाँव व नगर जलमग्न हैं; अभी तक पूरी हानि का तो अंदाजा लगाना भी कठिन ही है। संवाद माध्यमों से प्राप्त जानकारियों से ही सारा देश चिंतित है। इस आपदा में जो लोग काल-कवलित हो गए, मैं उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। स्थान-स्थान पर फँसे लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए समस्त देशवासियों की ओर से ढाँढस बँधाते हुए धीरज से हालात का सामना करने की अपील करता हूँ तथा विश्वास दिलाता हूँ कि विपत्ति के इस क्षण में संपूर्ण देश अपने जम्मू-कश्मीर के संकट में पड़े निवासियों के साथ पूर्ण मनोयोग के साथ खड़ा है। केंद्र व राज्य सरकार के साथ-साथ सेना, पुलिस, विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ तथा हजारों नागरिक, राहत व बचाव हेतु जी-जान से जुटकर जो कार्य कर रहे हैं; वह निश्चय ही प्रशंसनीय है। किन्तु अभी बहुत कुछ करना शेष है। अपनी सदैव की परंपरा और अभ्यास के अनुसार संघ के स्वयंसेवक नागरिकों के सहयोग से ‘‘सेवा भारती, जम्मू-कश्मीर’’ के माध्यम से पहले दिन से ही बाढ़ में फँसे लोगों को निकालने, भोजन व्यवस्था तथा अन्य सभी प्रकार के सहायता कार्यों में दिन-रात जुटे हैंे। जम्मू-कश्मीर पर अचानक आई इस प्राकृतिक विपत्ति के समय मैं समस्त देशवासियों तथा विशेषकर स्वयंसेवकों का आवाहन करता हूँ कि वे एकजुट होकर संकट में पड़े अपने जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए सभी प्रकार की आवश्यक सहायता हेतु आगे आएँ। सहायता सामग्री व राशि ‘‘सेवा भारती, जम्मू-कश्मीर’’ (0191-2570750, 2547000, 09419112841, 09419110940) अथवा ‘‘राष्ट्रीय सेवा भारती, दिल्ली’’ (011-25814928, 25814693, 09868245005) के पास भिजवा सकते हैं। Vagish Issar IVSK 09810068474

Wednesday, July 2, 2014

मनुष्य स्च्चे अर्थो मे स्वतंत्र तब होता है जब वह स्वधर्म और स्वदेश को देखता- परम पूज्य सरसंघ चालक मोहन जी भागवत जी झाबुआ । बहार से जितना और जैसा प्रायश होता है उतना ही काम होता है लेकिन भवन मे ऐसा नही होता जैसे पानी की प्रवृती ही ऐसी है की उष्णता मिलते ही वह भाप बन कर उड जाता है एक जगह नही ठहरता है। इसी प्रकार अन्दर की उर्जा से जो काम होते है और जहां होते है वह अपना भवन उक्त बात परम पूज्य सर संघचालक मोहन जी भागवत ने वनवासी अंचल झाबुआ जिले मे दत्ताजी उननगावंकर द्वारा निर्मति संघ कार्यालय जागृती के लोकर्पण पर उपस्थित कार्यकर्ता और गणमान्य नगारीको को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर दत्ताजी उननगावकर ट्रस्ट के अध्यक्ष रामगोपाल जी वर्मा ने ट्रस्ट के बारे मे विस्तार से जानकारी देते हुए बताया की इस निर्माण कार्य मे जिले के सभी स्वयंसेवको ने दिन रात अथक प्रयश किया और समाज ने भी बडे उत्साह के साथ सहयोग दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए क्षैत्र संघचालक माननीय अशोक जी सोहनी ने कहा की पहले पुराना कार्यालय छोट था अब बडा कार्यालय बन चुका है यानि की काम भी अब ज्यादा बडा हो चुका है। कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुए परमपूज्य संघचालक मोहनजी भागवत ने कहा की कार्यकर्ताओ को पता है कि कौन सा काम करना है कैसे करना है उन्हे पता है उसमे नई बात जोडने की कोई आवश्यकता ही नही है। भाषण करेगे या मार्गदर्शन करेगे यह अच्छा नही लगता है यह शब्दो का फर्क है शब्द परम्परा से चलते है अर्थ जानकर चलते है ऐसा नही है। इस लिए शब्दो का भी ध्यान रखना चाहिए। पूरम पूज्य ने कहा की नया भवन बना है भवन यानी होना लेकिन कुछ भवन ऐसे भी बनते है जहां कुछ होता नही है लेकिन अपने भवन ऐसे नही है। उन्होने कहा की बहार से प्रयश होता है उसमे जितना और जैसा प्रयाश होता है उतना ही काम होता है लेकिन भवन मे ऐसा नी होता जैसे पानी की प्रवृति होती है उसे उष्णता मिलते ही वह भाप बन कर उड जाता है। अंदर की उर्जा से जो काम होते है जो काम बनते है वह अपना भवन। क्षैत्र मे समस्या है उसका निराकरण कौन करेगा बहार से आकार कोई करने वाला है क्या कर नही सकता। कुछ लोग जिनके मन मे करूणा है वे प्रयाश भी करते है लेकिन समस्या का निराकरण नही हो सकता समस्या का निराकरण तब ही हो सकता जब जिसकी समस्या है वह खुद उसका निराकरण करे। यह तब होता है जब व्यक्ति के मन मे यह इच्छा हो की वह समस्या का समधान खुद करेगे वह इस प्रकार की समस्या मे नही जियेगा ऐसी इच्छा जब व्यक्ति के मन मे होती है तो फिर बहार का कोई व्यक्ति मदद करे या ना करे भगवान उसकी मदद जरूर करता है क्योकि प्रत्यके मनुष्य के अंदर भगवान है ऐसा मानने वाले हम लोग है। यह परम्परा हमारे देश की है दुनिया मे और कही ऐसा नही है। अंदर से जब व्यक्ति सोचता है तो भगवान भी आर्शिवाद देता है। व्यक्ति जब एक कदम चलता है तो भगवान दस कदम चलता है। समाज का वास्तविक मे भला तब ही होगा जब समाज खुद सोचेगा की अपना भला होना चाहिए इसके लिए कोई बहार से आयेगा उसके आर्शीवाद से काम होगा ऐसा नही है। हमारा भविष्य अपने हाथो मे है। और भगवान ने मनुष्य को इसी लिए बनाया है हमारे साधु महात्म कहते कि ईश्वर भी खेल खेलता है अपने एक अंश को मनुष्य बना कर भेजा है और कहता है जा मैने तुझे सब दिया अब तू नर से नारायण बन जा। परम पूज्य ने कहा की पहले यहां छोटा सा भवन था अब बडा भवन बन गया तो काम भी बडे पैमाने पर करना ही चाहिए। कार्यालय बन गया यानि कार्य का लय नही हो जाय बल्कि कार्य मे लय आ जानी चाहिए । समाज की विभिन्न आशाओ की पूर्ति का केन्द्र यह भवन बनना चाहिए इस भवन मे आने मात्र से मनुष्य को एक भरोसा मिलता है। इस भवन मे आने मात्र से मनुष्य अपने भाग्य को बनाने के लिए पुरूषार्थ की प्रवृति को अपना लेता है। ओर किसी दुसरे का मुहॅ ताकने मे विश्वास नही रखता ऐसा काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कर रहा है। उन्होने दत्ताजी उननगांवकर के बारे मे बताते हुए कहा की वे जिनके नाम से यह ट्रस्ट है वे भी संघ के ही प्रचारक थे। हमेशा सबकी चिंता करना अपने लिए कुछ नही इस लिए उन्हे अंतिम दिनो मे यह काम दिया गया की जो सबकुछ छोड कर आये आये है प्रचारक उनकी चिंता कौन करेगे तो उसके लिए दत्ताजी को प्रचारक प्रमुख का बनया गया ताकी वे सबकी चिंता कर सके। जिस प्रकार से भवन बनाने मे सभी का सहयोग मिला वैसे ही इस भवन से काम हो उसमे सभी का सहयोग मिलना चाहिए मात्र भवन बनाने से काम नही पूर्ण हो जाता बल्कि वास्वत मे भवन बनाने के बाद काम प्रारभ होता है और तब तक करते रहना है जब तक कार्य पूर्ण नही हो जाता। चलती रही आजादी की लडाई झाबुआ जिले मे समस्या के मामले मे भी आगे है भारत की परम्परा मे झाबुआ जिले को गौरव प्राप्त है यहां पर आजादी की लडाई हमेशा चलती रही है कभी थमी नही। कभी तात्य टोपे का संचार हुआ तो कभी राजस्थान मध्यप्रदेश ओर गुजारत के अंचल मे इन सब लोगो का संचार हुआ स्वधर्म ओर स्वदेश की ज्योति जागती रखने के लिए। और इसे जाग्रत रखने की आवश्यकता हमेशा रहती है। लेकिन मनुष्य सच्चे अर्थो मे स्वतंत्र तब होता है जब वह स्वधर्म और स्वदेश को देखता है। तब उसकी सारी समस्याओ का निराकरण भी होता है दुसरा कोई आकर समस्या सुलझाय तो वह जो समधान देता है उसी मे हमको चलना होता है और वह हमको अच्छा लगेगा नही। मनुष्य मात्र की सच्ची स्वतंत्रा स्वधर्म मे ही है। धर्म का कोई नाम नही होता धर्म एक ऐसी वस्तु है जब सब पर लागे होती है। मिट्टी के एक कण से लेकर दुनियां मे अगर सबसे बडा आदमी है तो उस पर भी। बिना धर्म के कुछ नही हो सकता और हम जो धर्म मानते है वह सारी दुनियां कै जिसे कभी हम प्रेम तो कभी करूणा तो कभी किसी और नाम से जानते है ओर इसे एक नाम देने की आवश्यता पडती है ओर वह है हिन्दु धर्म ओर हम हिन्दु धर्म को मानते है। और हम हिन्दु धर्म के अनुयायी है । हिन्दु धर्म वैश्वीक कैसे बना तो उसका कारण स्वदेश है यह भारत भूमी ऐसी है जो सबकुछ देती है और इतना देती है कि हमे उसे बाटना पडता है। और इसी कारण हम ने चाहा की भाषा अलग है पूजा अलग है लेकिन हमे इस भूमि से इतना मिल रहा की हम सब मिल कर रहे एक दुसरे की पूजा को बदलने का प्रयाश मत करो सब मिल जुल कर रहो ओर विश्व का भला करो। उपभोग करना तो व्यक्ति तब चहाता है जब कम हो लेकिन जब व्यक्ति को भरपूर से ज्यादा मिलता है तो वह दुसरो की मदद करने की सोचता है। हमरा यह स्वभाव इस भूमि ने बनाया इस देश ने बनाया इस लिए देश की रक्षा ही धर्म की रक्षा है और जब हमे यह सब सोच कर संगठित होगे सामर्थवान होगे तो किसी भी समस्या हमारे समाने नही ठिक पायेगी। पूरम पूज्य सरसंघचालक जी की मुख्य द्वारा पर अगवानी प्रांत प्रचारक परगाजी अभ्यंकर, क्षैत्र संघचालक आशोक जी सोहनी, जिला, विभाग संघचालक जवहारजी जैन, जिला संघचालक मुकुट जी चैहान ने की आदिवासी नृतक दल की प्रस्तुती के साथ मंच तक लाया गया जहां पर आदिवासी परम्परा के अनुसार आदिवासी प्रतिक चिन्होे से जिला कार्यवाह रूस्माल चरपोटा ने स्वागत किया। आदिवासी नृत्य दल की प्रस्तुती पर हुए अभिभूत अलिराजपुर जिले से आये आदिवासी नृत्य दल की आकर्षक प्रस्तुतीयो देख कर परमपूज्य संघचालक जी काफी अभीभूत हुए एंव उनके साथ फोटो भी खिचवाया।
RSS Chief Mohan Bhagwat inaugurates Vidya Bharati’s School ‘Madhav Vidyapeeth’ at Bharuch, Gujarat RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat inaugurated ‘Madhav Vidyapeeth’ a school affiliated to the RSS education wing Vidyabharti in Kakadkui village of Bharuch district.During the inaugural ceremony, along with senior RSS functionaries, Union Minister and Bharuch MP Mansukh Vasava, Rajya Sabha MP Bharatsinh Parmar, Gujarat Ministers Ganpat Vasava, Chhatrasinh Mori and Nanu Vanani The newly inaugurated school buildings in the compound that also houses a Ram Mandir. The classrooms have been named after Indian mythological characters — Dhruv, Eklavya and Chanakya among others. RSS Chief Mohan Bhagwat praised the skills of tribals, during his address to approximately 300 students belonging to tribal families.

Thursday, June 26, 2014

Indian concept of nation is diffrent from the West New Delhi. India Policy Foundation on May 21 organised a seminar on ‘Dr Hedgewar and Indian Nationalism’ at Deen Dayal Research Institute on the occasion of the 75th death anniversery of Dr Hedgewar. In this seminar, the concept of nations was outlined by all the speaker in view of the contribution of Dr Hedgewar for it. The main speaker on the occasion was Rashtriya Swayamsevak Sangh joint general secretry Dr Krishna Gopal. He said that the concept of nation of India and the west is entirely different. There are certain factors that makes a nation in the west that might be state, religion, economic issues, tribal identity or certain other things but for India the concept of nation is to assimilate everyone. He said that the concept of Rashtra in India was not born in 1947 but it was developed through the ages. The concept of Rashtra is to assimilates everyone. From Baudha to Kabir to Shankar Deb kept this concept of nation alive and going. There is a need to understand that the concept of nation for India is not a political concept rather spritual. Dr. Krishna Gopal said that Dr Hedgewar has started nothing new; he just continued age-old Indian tradition. Vivekanand and Arbindo was also doing the same. Going by that definition the concept of Hindu Rashtra is the basic concept of Nation in the country. Initiating the debate on Hedgewar, Honorary Director of the IPF, Prof Rakesh Sinha said that modern historian especially Left and Nehruvian historian have done a great damage to the history. Role of the RSS in the national movement is completely ignored and deliberately swept under the carpet. He talked about 109 such files in which lots of information about the RSS was available being missing or destroyed. They could have told the real role of the RSS. This is a criminal injustice not only to the nation but also t the RSS. Prof. Sinha said that history writing or social science is faulty. With certain fact in your hand you interpret it and with those facts and interpretation, perception is made but Left historians have done it other way round and they made perception first and then interpreted accordingly and while doing so facts are suppressed. Dr Saradindu Mukherjee while presenting the bird eye view on the topic informed the gathering that corporate history writing has done a great damage to the nation and the history itself. Professor Kapil Kapoor, chairman of the IPF, presided over the function. He thanked the audience who enthusiastically participated in it. Rashtriya Swayamsevak Sangh joint general secretry Dr Krishna Gopal
RSS Swayamsevaks helps in rescue of passengers at Railway accident near Chapra in Bihar | CHAPRA/PATNA June 25 : At least four passengers were killed and 23 others injured, 13 of them seriously, when 12 coaches of the Dibrugarh-bound Rajdhani Express derailed near Chapra in Bihar’s Saran district on Wednesday, with Union home minister Rajnath Singh saying it was too early to blame the Maoists for the incident. 18 wagons of a goods train also derailed due to a blast in east Champaran district with the SP Vinay Kumar not ruling out the involvement of Maoists. Chief public relations officer of East Central Railway (ECR) Arvind Kumar Rajak said while three passengers were killed in the Rajdhani derailment, another succumbed to injuries in a hospital, Seven coaches-B-5 to B-10 and the power car of the Delhi-Dibrugarh Rajdhani derailed at the Golden Ganj station, about 75km from Patna, while five coaches, B-1, B-2, B-3, B-4 and the pantry car overturned at around 2:11am. Rajak said some of the coaches were hurled as far as 700 feet away from the track. (Inputs from TOI) RSS Steps in: RSS Swayamsevaks from the local area rushed to the venue of the railway accident, helped in the rescue operation, helped the passengers who were in a real need of help.

Thursday, June 12, 2014

तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग समापन समारोह Govt should emulate Shivaji’s governance: Dr. Bhagwat Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) Sarsanghchalak Dr. Mohan Bhagwat on Thursday hoped that Narendra Modi led NDA Government at the centre would work on the footsteps of Chhattrapati Shivaji Maharaj. While welcoming changes in political situation in the country, he urged common man to join hands in this change for the progress of the country. The country can not be developed by the politicians only, but all 125 crore citizens should give wholehearted support to them. He urged for complete eradication of casteism, corruption and untouchability from society and polity. Dr Bhagwat was addressing a gathering at sprawling Reshimbag ground on the occasion of conclusion of third year Sangh Shiksha Varga. Sri Sri Ravishankar, founder of Art of Living was present as chief guest. This was first speech of RSS chief after Modi Government took over at Centre. Comparing administration during Chhattrapati Shivaji Maharaj era with present day situation, Dr. Bhagwat said that the people were happy in the rule of Shivaji Maharaj and similar joy is visible on the face of common man. Shivaji Maharaj had given self-esteem and established corruption free, exploitation free, administration for the citizens. Dr. Bhagwat said that the rulers of independent India had failed to give positive directions to the country. RSS Chief said, people are happy due to recent change in political situation of the country and after a deep though they brought this change. The RSS chief denied any role of RSS in Government formation and clarified that RSS is not working as Remote Control of new Government. The RSS has worked as per the guidelines of Election Commission of India and urged people to enrol themselves for voting and vote for right people and issues. He expected that the policies of new Government would increase self-esteem and worked for pride of constitution and maintain its dignity. The present Government has completed only 10-15 days in the centre but initiated some positive steps. The people would have to keep patience for changes in the policies and system, he advised. The 125 crore people of the country should give their contribution for change in the system. The Government should work to become world guru in every sector. Nearly 716 RSS volunteers took part in the camp, which includes 144 Swayamsevaks from Central India comprising Malwa Prant. The highest number of participants – 144 – was from Central India comprising Malwa, Madhya Bharat, Mahakaushal and Chattisgarh. Among those attending are 460 professionals, including six doctors, 14 engineers, a chartered accountant and 14 lawyers, while 91 are self-employed. There were as many as 147 teachers, five journalists, 49 agriculturists and 153 students. Nagpur Mahanagar Sarsanghchalak Dr. Dilip Gupta, and Camp Chief Vishwanatlal Nigam were present on the dais. Dr. Prakash Shastri gave introduction of guests.

Monday, June 9, 2014

RSS-Vagish Issar: कार्यकर्ता बनने का कौशल संघ से सीखें : महाश्रमण जी...

RSS-Vagish Issar: कार्यकर्ता बनने का कौशल संघ से सीखें : महाश्रमण जी...: कार्यकर्ता बनने का कौशल संघ से सीखें : महाश्रमण जी नई दिल्ली. तेरापंथ समाज के जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने राष्ट्रीय स्वयंसे...
कार्यकर्ता बनने का कौशल संघ से सीखें : महाश्रमण जी नई दिल्ली. तेरापंथ समाज के जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशासन और सुव्यवस्था जैसे अच्छे गुणों की सराहना की और पंथ के कार्यकर्ताओं से फूहड़ता के बजाय कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिये इन गुणों को सीखने का आह्वान किया. दिल्ली के संघ कार्यालय केशव कुंज में 7 जून को संघ के स्वयंसेवकों और तेरापंथ के कार्यकर्ताओं की संयुक्त सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तेरापंथ से पुराना सम्बन्ध है, पंथ के आचार्य श्री महासिद्ध जी और स्वर्गीय सुदर्शन जी के बीच काफी सम्पर्क और संवाद था. अभी भी हमारे पास श्री मोहन जी भागवत कई बार आ गये हैं. कार्यकर्ता भी यदा-कदा आते रहते हैं, तो सम्पर्क बना रहता है.” आचार्य श्री महाश्रमण जी के शुभागमन पर संघ के स्वयंसेवकों ने उनका हार्दिक अभिनन्दन किया. आचार्य श्री महाश्रमण जी ने केशव कुञ्ज में कार्यकर्ता स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया . आचार्य श्री ने कार्यकर्ताओं के लिये सात सूत्र बताये . उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता में सबसे पहला गुण सेवा भाव का होना चाहिये. कार्य तो हर कोई करता है, भोजन करना, स्नान करना आदि सब अपने लोग अपने काम करते है, उन्होंने पूछा, लेकिन क्या ये सब कार्यकर्ता हो गये ? दूसरों के लिये निष्ठापूर्वक स्वयं अपनी सुविधा को छोड़कर भी काम करने की भावना कार्यकर्ता में होनी चाहिये. सहिष्णुता को दूसरा अनिवार्य गुण बताते हुए जैन मुनि ने कहा कि कार्यकर्ता में कठिनाइयों को झेलने की क्षमता होनी चाहिये. एक कार्यशील व्यक्ति के सामने विपरीत परस्थितियां आ सकतीं हैं . कहीं यात्रा में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर सोना पड़ सकता है, सादा भोजन भी करना पड़ सकता है . इसी प्रकार, कहीं पर अच्छा भोजन, कहीं सम्मान तो कहीं असम्मान मिल सकता है. कई बार लोग जानकारी न होने के कारण अपनी अवधारणा से अलग बात करने लग जाते हैं . लेकिन कार्यकर्ता को हर स्थिति में शांत रहना चाहिये . गुस्सा करने की वजह हर परिस्थिति को सहन करना ही कार्यकर्ता का धर्म है . कार्यकर्ता में मैत्री भावना को उन्होंने तीसरा गुण बताया. कार्यकर्ता को ज्यादा गुस्सा नहीं करना चाहिये . गुस्सा करना तो हमारी कमजोरी है . हमें कोई गधा कह दे, कुछ भी कह दे लेकिन शांत रहकर उसकी बात सुननी चाहिये . आवेश में आये बिना कार्यकर्ता को अपनी बात कहनी चाहिये . झुकने की जरूरत नहीं लेकिन मौके पर अपनी बात जरूर कह देनी चाहिये . चौथा सूत्र है कार्यकर्ता में ईमानदारी होनी चाहिये . बात का सच्चा होना चाहिये और पैसे का मामला हो, समाज से चंदा-अनुदान मिलता है, तो उसमें कोई गड़बड़ी न हो जाये, इसके लिये आर्थिक शुचिता होनी चाहिये . समाज ने जो विश्वास के रूप में दिया है तो हम भी समाज के विश्वास की सुरक्षा करें और धन के साथ नैतिक मूल्यों को जोड़े रखें . नैतिकता के साथ धन का ध्यान रखें . पांचवां सूत्र है कार्यकौशल . कार्यकर्ता को अपनी कुशलता का विकास करना चाहिये कि मैं काम कितने बढि़या ढंग और कितने अच्छे ढंग से करूं . छठा सूत्र है विवेक सम्पन्नता . कार्यकर्ता विवेकशील हो व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक हो . कृतघ्न और अनुशासन के बिना यह लोकतन्त्र का देवता भी विनाश और मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा . लोकतन्त्र हो, राजतन्त्र हो या कोई भी तन्त्र हो, निष्ठा सब जगह आवश्यक होती है . सातवां गुण अनुशासनबद्धता है . अनुशासन कार्यकर्ता के लिये अनिवार्य है. इस प्रकार, इन सात गुणों के साथ कार्यकर्ता अपने कार्य में सफल हो सकता है . कार्यकर्ता अपना ऊंचा एवं उदात्त लक्ष्य बनाये रखें . आचार्य श्री का अभिनंदन-वंदन करते हुए उत्तर क्षेत्र संघचालक श्री बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि उनके पदार्पण से केशव कुंज परिसर में व्याप्त कर्मऊर्जा-सामाजिक ऊर्जा में आध्यात्मिक ऊर्जा का सम्पुट लगा है, जिससे संघ के कार्यकर्ताओं को काम करने की अभिनव प्रेरणा मिलेगी. साथ ही, दिशा और दृष्टि भी म लेगी. ऐसे आचार्य श्री का आना मानो दो प्रकार की धाराओं के सम्मिलन का अदभुत प्रकार का दृश्य उत्पन्न हुआ है.
कार्यकर्ता बनने का कौशल संघ से सीखें : महाश्रमण जी नई दिल्ली. तेरापंथ समाज के जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशासन और सुव्यवस्था जैसे अच्छे गुणों की सराहना की और पंथ के कार्यकर्ताओं से फूहड़ता के बजाय कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिये इन गुणों को सीखने का आह्वान किया. दिल्ली के संघ कार्यालय केशव कुंज में 7 जून को संघ के स्वयंसेवकों और तेरापंथ के कार्यकर्ताओं की संयुक्त सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तेरापंथ से पुराना सम्बन्ध है, पंथ के आचार्य श्री महासिद्ध जी और स्वर्गीय सुदर्शन जी के बीच काफी सम्पर्क और संवाद था. अभी भी हमारे पास श्री मोहन जी भागवत कई बार आ गये हैं. कार्यकर्ता भी यदा-कदा आते रहते हैं, तो सम्पर्क बना रहता है.” आचार्य श्री महाश्रमण जी के शुभागमन पर संघ के स्वयंसेवकों ने उनका हार्दिक अभिनन्दन किया. आचार्य श्री महाश्रमण जी ने केशव कुञ्ज में कार्यकर्ता स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया . आचार्य श्री ने कार्यकर्ताओं के लिये सात सूत्र बताये . उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता में सबसे पहला गुण सेवा भाव का होना चाहिये. कार्य तो हर कोई करता है, भोजन करना, स्नान करना आदि सब अपने लोग अपने काम करते है, उन्होंने पूछा, लेकिन क्या ये सब कार्यकर्ता हो गये ? दूसरों के लिये निष्ठापूर्वक स्वयं अपनी सुविधा को छोड़कर भी काम करने की भावना कार्यकर्ता में होनी चाहिये. सहिष्णुता को दूसरा अनिवार्य गुण बताते हुए जैन मुनि ने कहा कि कार्यकर्ता में कठिनाइयों को झेलने की क्षमता होनी चाहिये. एक कार्यशील व्यक्ति के सामने विपरीत परस्थितियां आ सकतीं हैं . कहीं यात्रा में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर सोना पड़ सकता है, सादा भोजन भी करना पड़ सकता है . इसी प्रकार, कहीं पर अच्छा भोजन, कहीं सम्मान तो कहीं असम्मान मिल सकता है. कई बार लोग जानकारी न होने के कारण अपनी अवधारणा से अलग बात करने लग जाते हैं . लेकिन कार्यकर्ता को हर स्थिति में शांत रहना चाहिये . गुस्सा करने की वजह हर परिस्थिति को सहन करना ही कार्यकर्ता का धर्म है . कार्यकर्ता में मैत्री भावना को उन्होंने तीसरा गुण बताया. कार्यकर्ता को ज्यादा गुस्सा नहीं करना चाहिये . गुस्सा करना तो हमारी कमजोरी है . हमें कोई गधा कह दे, कुछ भी कह दे लेकिन शांत रहकर उसकी बात सुननी चाहिये . आवेश में आये बिना कार्यकर्ता को अपनी बात कहनी चाहिये . झुकने की जरूरत नहीं लेकिन मौके पर अपनी बात जरूर कह देनी चाहिये . चौथा सूत्र है कार्यकर्ता में ईमानदारी होनी चाहिये . बात का सच्चा होना चाहिये और पैसे का मामला हो, समाज से चंदा-अनुदान मिलता है, तो उसमें कोई गड़बड़ी न हो जाये, इसके लिये आर्थिक शुचिता होनी चाहिये . समाज ने जो विश्वास के रूप में दिया है तो हम भी समाज के विश्वास की सुरक्षा करें और धन के साथ नैतिक मूल्यों को जोड़े रखें . नैतिकता के साथ धन का ध्यान रखें . पांचवां सूत्र है कार्यकौशल . कार्यकर्ता को अपनी कुशलता का विकास करना चाहिये कि मैं काम कितने बढि़या ढंग और कितने अच्छे ढंग से करूं . छठा सूत्र है विवेक सम्पन्नता . कार्यकर्ता विवेकशील हो व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक हो . कृतघ्न और अनुशासन के बिना यह लोकतन्त्र का देवता भी विनाश और मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा . लोकतन्त्र हो, राजतन्त्र हो या कोई भी तन्त्र हो, निष्ठा सब जगह आवश्यक होती है . सातवां गुण अनुशासनबद्धता है . अनुशासन कार्यकर्ता के लिये अनिवार्य है. इस प्रकार, इन सात गुणों के साथ कार्यकर्ता अपने कार्य में सफल हो सकता है . कार्यकर्ता अपना ऊंचा एवं उदात्त लक्ष्य बनाये रखें . आचार्य श्री का अभिनंदन-वंदन करते हुए उत्तर क्षेत्र संघचालक श्री बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि उनके पदार्पण से केशव कुंज परिसर में व्याप्त कर्मऊर्जा-सामाजिक ऊर्जा में आध्यात्मिक ऊर्जा का सम्पुट लगा है, जिससे संघ के कार्यकर्ताओं को काम करने की अभिनव प्रेरणा मिलेगी. साथ ही, दिशा और दृष्टि भी म लेगी. ऐसे आचार्य श्री का आना मानो दो प्रकार की धाराओं के सम्मिलन का अदभुत प्रकार का दृश्य उत्पन्न हुआ है.

Tuesday, June 3, 2014

RSS Sarkaryavah Man. Bhayya ji Joshi is paying tribute to Late Sh. Gopi Nath Munde at BJP Head Quarter New Delhi. 3.06.2014
a Condolence message from RSS Sarsanghchalak Dr. Mohan Rao Bhagwat ji on untimely demise of Sh. Gopi Nath Munde ji .