Friday, August 5, 2016

मा.दत्तात्रय जी होसबले- (मा.सहसरकार्यवाह, रा.स्व. संघ) बिलियर्ड खिलाड़ी गीत शेट्टी की पुस्तक (सक्सेस वर्सिस जॉय) का उदाहरण देते हुए कहा कि शेट्टी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि जब वह बिलियर्ड के पहली बार विश्व विजेता बने तो उन्हें बड़ा धन मिला, सम्मान मिला, उन्हें कई जगह बुलाया गया। दूसरी बार वे प्रतियोगिता में हार गए। उनके मन में अंतर्द्वंद्व चलता रहा। अंत में वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि मैं सफलता के लिए खेल को खेला इसलिए हार गया। मैंने खेल का आनंद नहीं लिया। इसके बाद उन्होंने मन में धारणा बनाई कि वे सिर्फ आनंद के लिए खेलेंगे। उन्होंने ऐसा सोचा और खेले, फिर वे जीत गए। वे नौ बार विश्वविजेता बने। इसलिए कार्य जब करें तो सफलता के लिए नहीं, बल्कि आनंद के लिए करें। अपना संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है। इसलिए संघ कार्य भी हम भगवान के विराट रूप का आंनद लेते हुए अपने मन के आंनद लिए करे न की संघ का दायित्व मेरी डयूटी है। दायित्व यानि जिम्मेवारी। जैसे अपने परिवार में हम सब दायित्व का कोई न कोई दायित्व तय है ताकि घर रुपी संस्था हम व्यवस्थित रूप से चला सके इसी प्रकार संघ का दायित्व भी हमारी ड्यूटी नही हमारी समाज के प्रति हमारी भूमिका है। सभी हिन्दू आपस में भाई भाई है सारा समाज मेरे परिवार सम है इसलिए अपने इस विशाल समाज हेतु संगठन द्वारा मेरा जो भी दायित्व तय होगा मैं उसका निर्वाहन करूँगा ऐसा संकल्प ऐसा भाव ले कर अपने मन के आंनद के लिए संघ का काम करेगे तो फिर संघ का काम बोझ न लग कर आत्मिक शांति देने वाला लगेगा।
दिल्ली वाला सर गंगाराम अस्पताल बाद में बना, लाहौर वाला पहले बन गया था। हालांकि दोनों की नींव एक ही साल १९२१ में सर गंगाराम ने रखी थी लेकिन सर गंगाराम की प्राथमिकता लाहौर वाले अस्पताल को लेकर थी। दिल्ली वाला अस्पताल नेहरू जी की कोशिशों से १९५४ में शुरू हुआ जबकि लाहौर का सर गंगाराम अस्पताल उसके बहुत पहले से लोगों का इलाज कर रहा था। जाहिर है, लाहौर से सर गंगाराम का विशेष लगाव था क्योंकि यह उनकी मातृभूमि थी। सर गंगाराम वैश्य समाज से थे और लाहौर के पास एक गांव में पैदा हुए थे। उनके पिता ने उन्नीसवीं सदी में ही उन्हें सिविल इंजिनियरिंग की पढ़ाई करवाई। उन्हें देश के एकमात्र इंजीनियरिंग कालेज रुड़की में पढ़ने के लिए भेजा। और जब सर गंगाराम पढ़कर वापस लौटे तो उन्होंने पहला काम जो हाथ में लिया वह लाहौर का पुनर्निर्माण था। आज जो लाहौर दुनिया को दिखता है उस नये लाहौर का पूरा डिजाइन सर गंगाराम ने ही तैयार किया और लाहौर की कमोबेश हर ऐतिहासिक इमारत सर गंगाराम की डिजाइन थी। वे उसी तरह नये लाहौर के आर्किटेक्ट हैं जैसे लुटियंस ने नई दिल्ली बनाई या फिर कार्बुजिए ने चंडीगढ़। लाहौर में सीवर लाइन से लेकर पानी की सप्लाई तक सबकी बुनियाद लाहौर शहर में पहली बार सर गंगाराम ने ही रखी। लेकिन बंटवारा हुआ तो सबसे पहला हमला गंगाराम की आत्मा पर ही हुआ। मन्टो अपनी एक कहानी में लिखते हैं कि बलबाई मुसलमानों की भीड़ माल रोड पर सर गंगाराम की मूर्ति के सामने पहुंची और उन पर कालिख मल दी। जूतों की माला पहना दी और मूर्ति को गिरा दिया। मूर्ति गिराते हुए एक बलबाई पुलिस की गोली से घायल हो गया तो तुरंत भीड़ से एक साथ आवाज आई कि "इसे जल्दी से गंगाराम अस्पताल ले चलो।" उसे गंगाराम अस्पताल ले भी गये, उसका इलाज हुआ और वह ठीक भी हो गया लेकिन गंगाराम की वह आखिरी निशानी फिर कभी माल रोड पर पाई न जा सकी, क्योंकि नये लाहौर में बुतपरस्ती हराम थी। जिन गंगाराम ने लाहौर शहर को नया स्वरूप दिया उस लाहौर से सर गंगाराम का निशान मिटाने के लिए इस्लाम के नाम पर हर तरह के पाप किये गये। सर गंगाराम द्वारा बनाये गये देश के पहले मेडिकल कालेज बालक राम मेडिकल कालेज का नाम बदलकर फातिमा जिन्ना मेडिकल कालेज कर दिया। अभी तक तो हुआ नहीं है लेकिन मजहबी तौर पर बीमार लोग यह मांग करते रहते हैं कि गंगाराम अस्पताल का नाम बदलकर जिन्ना के नाम पर रख दिया जाए क्योंकि एक इस्लामिक मुल्क में हिन्दू नाम हराम जो है। भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों में पसरी यह वही खास बीमारी है जो धर्म को संस्कृति से अलग करती है। ये बीमार लोग समझते हैं कि धर्म बदल जाने से संस्कृति भी बदल जाती है। इसी बीमारी का सबसे गहरा लक्षण इस वक्त कश्मीर घाटी में दिख रहा है जो महाराजा हरि सिंह के बनाये महल पर तो दावा करते हैं लेकिन हरि सिंह को खारिज कर देते हैं। वैसे ही जैसे लाहौर ने सर गंगाराम अस्पताल ले लिया लेकिन सर गंगाराम को अपने इतिहास से खारिज कर दिया।

Monday, July 4, 2016

महबूबा मुफ़्ती की जीत के मायने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती राज्य की विधान सभा के लिए अनन्तनाग से चुन ली गई हैं । यह सीट उनके पिता मुफ़्ती मोहम्मद की मौत के कारण रिक्त हुई थी । वैसे तो किसी राज्य के मुख्यमंत्री का किसी विधान सभा सीट के लिए उपचुनाव में जीत जाना बड़ी ख़बर नहीं है । लेकिन महबूबा की जीत की ख़बर केवल ख़बर नहीं बनी बल्कि वह महाख़बर बन गई । यहाँ तक की पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी इस चुनाव में खासी रुचि दिखाई जा रही थी । इस पर चर्चा करने से पहले यह जान लेना भी जरुरी है कि आतंकवादियों ने इस चुनाव का बायकाट करने का आदेश जारी किया था और इश्चहार लगा कर , मतदान करने वालों को सबक़ सिखा देने की धमकी दी हुई थी । आतंकवादियों द्वारा यह धमकी देने का एक ही अर्थ निकाला जा सकता है कि वे प्रदेश की आम जनता से कट गए हैं और अब केवल बंदूक़ के बल पर अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं । इस धमकी के बावजूद चौंतीस प्रतिशत मतदान हुआ जो घाटी की हालत देखते हुए केवल संतोषजनक ही नहीं बल्कि उत्साह वर्धक भी कहा जा सकता है । दरअसल यह मतदान पीडीपी-भाजपा गठबंधन को लेकर किया गया जनमत संग्रह भी कहा जा सकता है । ऐसा प्रचार काफ़ी देर से किया जा रहा है कि कश्मीर का आम आदमी , पीडीपी से नाराज़ हो गया है क्योंकि उसने सत्ता में बने रहने की ख़ातिर भारतीय जनता पार्टी से समझौता कर लिया है । भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी का प्रदेश में सरकार बनाने के लिए समझौता न्यूनतम साँझा कार्यक्रम के आधार पर हुआ है । मोटे तौर पर दोनों दल अपने वैचारिक मुद्दों पर विद्यमान हैं । लेकिन घाटी में यह प्रचारित किया जा रहा था कि भाजपा मुस्लिम विरोधी पार्टी है । आम चुनाव में जनता ने प्रदेश में भाजपा को सत्ता के रास्ते से दूर रखने के लिए पीडीपी को जिताया था । लेकिन पार्टी ने तो उस जनादेश के विपरीत जाकर भारतीय जनता पार्टी के साथ ही मिल कर सत्ता में भागीदारी निश्चित कर ली । कहा जा रहा था कि घाटी के कश्मीरी मुसलमान पीडीपी के इस विश्वासघात से सख़्त ख़फ़ा हैं और वे महबूबा मुफ़्ती को सबक़ सिखाने के लिए वेकरार है । पीडीपी से मुसलमानों की नाराज़गी का यह तथाकथित ख़ौफ़ इतना घर कर गया था कि पार्टी के भीतर भी महबूबा मुफ़्ती के कुछ शुभचिन्तकों ने उन्हें यह चुनाव न लड़ कर विधान परिषद में मनोनयन के सुरक्षित विकल्प को अपनाने की सलाह दी । इसे महबूबा की दिलेरी ही कहा जाएगा कि उसने एक मुझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह पीडीपी-भाजपा गठबंधन का निर्णय प्रदेश की आम जनता से ही करवाने का निर्णय किया । वे चुनाव में स्वयं उम्मीदवार बनीं । इसलिए इस चुनाव में महबूबा मुफ़्ती का भविष्य ही दाँव पर नहीं लगा हुआ था बल्कि आतंकवादियों और नैशनल कान्फ्रेंस दोनों की ही साख भी दाँव पर लगी हुई थी । आतंकवादियों की साख तो जनता ने ३४ प्रतिशत मतदान करके मिट्टी में मिला दी । आम तौर पर घाटी में ४५-५० के बीच मतदान होता है और उसे सम्मानजनक मतदान का दर्जा दिया जाता है । उपचुनावों में सामान्य से कम ही मतदान देखने को आता है । लेकिन चुनाव वाले दिन ख़राब मौसम के बावजूद ३४ प्रतिशत मतदान एक प्रकार से जनता की अदालत में आतंकवादियों की हार ही मानी जाएगी । नैशनल कान्फ्रेंस को भी इस चुनाव से बहुत आशा थी । फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला , बाप-बेटे की जोड़ी को लगता था कि जनता पीडीपी के इस तथाकथित विश्वासघात से क्रोधित होकर उसके पास चली आयेगी । यही कारण था कि बाप बेटे की इस जोड़ी ने चुनाव में धुंयाधार प्रचार किया था । सोनिया कांग्रेस भी इस चुनाव में अपनी वापिसी का रास्ता तलाश रही थी । यहाँ तक वैचारिक आधार का प्रश्न है , सोनिया कांग्रेस घाटी में पीडीपी और नैशनल कान्फ्रेंस दोनों का प्रतिरुप ही मानी जाती है । भाजपा का विरोध करने में यह दोनों दलों से भी आगे है । सोनिया कांग्रेस को आशा थी कि प्रदेश की जनता भाजपा विरोध के कारण उसे जिता सकती है । इसलिए इस चुनाव के परिणाम की ओर सभी की आँखें लगी हुई थीं । लेकिन चुनाव परिणामों में महबूबा मुफ़्ती की जीत ने सभी की ग़लतफ़हमी दूर कर दी । इस चुनाव से इतना तो ज़ाहिर है कि रियासत का आम आदमी अपने यहाँ अमन चैन चाहता है । वह अपने नेताओं का चुनाव ख़ुद करना चाहता है । आतंकवादी प्रदेश की आम जनता को यह अधिकार देना नहीं चाहते । वे बंदूक़ के बल पर आम जनता को बंधक बना कर रखना चाहते हैं । यदि जनता को विश्वास हो जाए कि बंदूक़ का डर समाप्त हो गया है तो वह अपने मत की अभिव्यक्ति करती है । अनन्तनाग की जनता ने तो बंदूक़ का भय होते हुए भी अपने मत की निष्पक्ष अभिव्यक्ति की है । महबूबा बारह हज़ार के भी ज़्यादा अन्तर से अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी को पराजित कर विधान सभा के लिए चुन ली गईं । नैशनल कान्फ्रेंस के प्रत्याशी को तो कुल मिला कर दो हज़ार वोटों के आसपास ही संतोष करना पडा । दिल्ली में बैठे तथाकथित राष्ट्रीय मीडिया को इसीलिए हैरानी होती है कि इतनी बड़ी तादाद में मतदाता मतदान केन्द्रों पर क्यों आए ? यदि आए भी तो उन्होंने महबूबा मुफ़्ती को वोट कैसे डाल दिए क्योंकि इस राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार तो घाटी के सारे मुसलमानों ने महबूबा की पार्टी को इस्लाम विरोधी घोषित कर रखा है । महबूबा मुफ़्ती की जीत ने यह भी सावित कर दिया है कि दिल्ली में बैठ कर कश्मीरियों के मन को सही सही पढ़ लेने के तथाकथित विशेषज्ञ ज़मीनी सच्चाई से कितनी दूर हैं । महबूबा मुफ़्ती की इस जीत से उन लोगों की ताक़त तो बढेगी ही जो कश्मीर घाटी में शान्ति देखना चाहते हैं साथ ही उस मौन बहुमत की हिम्मत भी बढ़ेगी जो आतंकवादियों के साथ नहीं है । पीडीपी के अन्दर भी महबूबा मुफ़्ती की ताक़त में वृद्धि होगी । उनकी अपनी पार्टी के भीतर भी एक ऐसा ग्रुप है जो भाजपा-पीडीपी गठबन्धन की मुख़ालफ़त करता है । मुफ़्ती मोहम्मद सैयद की मौत के बाद वह ग्रुप महबूबा को कमज़ोर कर पार्टी के भीतर अपनी महत्ता बढ़ाने की ताक़त चाहता था । ज़ाहिर है अनन्तनाग ने उनकी आशा पर पानी फेर दिया है । आतंकवादियों की निराशा इसी से झलकती है कि उन्होंने चुनाव परिणाम निकलने के कुछ घंटे बाद ही सुरक्षा बलों पर आक्रमण कर दिया । यह महबूबा मुफ़्ती का बढ़ा हुआ आत्मविश्वास ही था कि वे उन सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित स्वयं गईं और उन्होंने स्पष्ट कहा भी कि जिन लोगों ने आक्रमण किया है वे राज्य के हितों से खिलवाड़ तो कर ही रहे हैं साथ ही वे इस्लाम के नाम पर भी कलंक हैं । ऐसी हिम्मत इससे पहले किसी मुख्यमंत्री की नहीं हुई । उमर अब्दुल्ला और सोनिया कांग्रेस ने भी अपनी निराशा का प्रकटीकरण किया है । उनका कहना है कि चुनावों में धाँधली हुई है । चुनावों में धाँधली किसे कहते हैं और वह कैसे होती है , इसे अब्दुल्ला परिवार से बेहतर कौन जानता है । इसी अब्दुल्ला परिवार ने देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक नेता पंडित जवाहर लाल नेहरु की छत्रछाया में विधान सभा के पहले चुनाव में सभी ७५ सीटें हिना चुनाव लड़े जीत लीं थीं । उमर ये भी जानते ही होंगे कि उनकी दादी लोक सभा के लिए किस प्रकार की धाँधली से जीतीं थीं । महबूबा की जीत उनके विरोधियों को तो निराश करेगी ही लेकिन इससे भाजपा-पीडीपी गठबन्धन को निश्चय ही बल मिलेगा ।

Thursday, June 30, 2016

RSS-Vagish Issar: RSS Clarification on "Media reports on RSS Organis...

RSS-Vagish Issar: RSS Clarification on "Media reports on RSS Organis...: RSS Clarification on "Media reports on RSS Organising Iftar Party". New Delhi June 30, 2016: RSS has clarified that It h...
RSS Clarification on "Media reports on RSS Organising Iftar Party". New Delhi June 30, 2016: RSS has clarified that It has not organised any Iftar party as reported by Few Media. RSS Akhil Bharatiya Prachar Pramukh Dr Manmohan Vaidya has issued following statement today . 1.Media reports on RSS conducting Iftar party are factually incorrect. RSS is not organising any such party. 2.Muslim Rashtriya Manch (MRM), organising Iftar Party, is an independent Muslim organisation to create national awareness. 3.RSS shares views of MRM on national issues & supports national awareness programs of MRM as any national cause. 4. Indresh Kumar, senior RSS functionary, keeps contact with MRM. He doesn't hold formal position in MRM. Dr Manmohan Vaidya Akhil Bharatiya Prachar Pramukh.

Monday, May 23, 2016

Inderprastha Vishv Samvad Kender New Delhi. Please open the below you tube link. Subject: Dr Bajrang Lal ji Gupt's Speech on Youtube on Narad Jayanti 2016 in New Delhi. RSS Uttar Kshetra Sanghchalal Dr. Bajrang Lal Gupt on the occasion of Narad Jayanti 2016 New Delhi Sh. Arun Jaitley ji speech on youtube on Narad patrkar Samman at Speaker Hall Constitution Club New Delhi on 20.5.2016 https://www.youtube.com/watch?v=DqMXLjjIids https://tmblr.co/ZLpZ4h26scuGX Vagish Issar ivsk 9810068474

RSS-Vagish Issar: Indraprastha Samvad Kendra organised Narad Samman...

RSS-Vagish Issar: Indraprastha Samvad Kendra organised Narad Samman...: Indraprastha Samvad Kendra organised Narad Samman 2016 to mark Devrishi Narad Jayanti at Speaker’s Hall, Constitution Club in New Delhi...
Indraprastha Samvad Kendra organised Narad Samman 2016 to mark Devrishi Narad Jayanti at Speaker’s Hall, Constitution Club in New Delhi to felicitated vetran and budding journalists from various fields. Information & Broadcasting Minister Shri Arun Jaitley and North Region SanghChalak Dr. Barjrang Lal Gupt honoured eight journalists for excellence in journalism for the year 2015-16. Among those were senior journalist Shri Shyam Khosla was honoured with Lifetime Achievement Narad Samman, Shri Manmohan Sharma (Utkrisht Patrkaar Narad Samman{All Over Excellence Narad Samman}) and Dr. Shanker Sharan (Utkrisht Stambhkar Narad Samman{ Best Columnist Narad Samman}). Addressing a gathering of eminent personalities including editors and journalists from various news organisations Shri Arun Jaitley expressed concern that these days some state governments are using public funds for personal promotion which is affecting neutrality of journalism. Shri Jaitley said that social media today has democratized media so much that is not possible to control it now. He added that it is now incumbent on journalists and society at large to use it responsibly. Praising the contribution of Shri Shyam Khosla, recipient of Lifetime Achievement Award, Shri Jaitley prayed for his long life. He also praised Shri Manmohan Sharma (Utkrisht Patrkaar Narad Samman{All Over Excellence Narad Samman}) and Dr. Shanker Sharan (Utkrisht Stambhkar Narad Samman{ Best Columnist Narad Samman}) for the work done in the field of journalism. Shri congratulated other awardees for their positive contribution in their respective fields. Dr. Bajranglal Gupt expressed regret over the way Narad Ji has been portrayed in general. He said it is time that the real picture of Narad is brought to fore today. He said that Narad should become a source of inspiration for journalists today. Dr. Gupt said that Narad worked consistently to keep all three worlds in a constant state of communication by way of sharing information of one place with another. He said Narad did not share news with any personal agenda or interest. His action was always neutral. Dr. Gupta also said that it is the duty of a journalist to push people towards purity. Journalists have an important role to play in success of any democracy. It is imperative that journalists be factual and neutral in safeguarding a democratic society. There is urgent need for issue based reporting to take the nation further. He noted that journalism today is under immense economic pressure and journalist can withstand such pressure by following in the footstep of Devrishi Narad only then will journalism serve its true purpose. Shri Shyam Khosla was felicitated with shawl, memento and honorarium of rupees One Lakh. Shri Manmohan Sharma (Utkrisht Patrkaar Narad Samman{All Over Excellence Narad Samman}) was honoured with shawl, memento and honorarium of rupees fifty one thousand. Other awardees were given shawl, memento and honorarium of rupees eleven thousand each. Best photographer honour was bestowed upon Ravi Kanojia (posthumously). Indraprastha Vishwa Samvad Kendra President Shri Ashok Sachdeva also gave 21 thousand honorarium for Ravi. Along with these Shri Ashish Kumar Anshu (Rural Reporting Narad Samman), Shri Syed Suhail (Newsroom Support Narad Samman), Shri Praful Kumar Singh (Digital Media Narad Samman), and Shri Abhiranjan Kumar (Social Media Narad Samman) were also felicitated. The programme concluded with Indraprastha Vishwa Samvad Kendra Secretary Shri Vagish Issar giving a note of thanks for making making the programme a success. नारद जयंती पर पत्रकारों को किया गया सम्मानित नई दिल्ली, 20 मई, 2016. इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र के तत्वावधान में आज आदि पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती के शुभ अवसर पर प्रतिष्ठित “नारद पत्रकार सम्मान समारोह” आयोजित किया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अरुण जेटली एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त ने वर्ष 2015-16 में पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आठ पत्रकारों को सम्मानित किया. इनमें वरिष्ठ पत्रकार श्री श्याम खोसला (लाइफ टाइम एचीवमेंट नारद सम्मान), श्री मनमोहन शर्मा (उत्कृष्ट पत्रकार नारद सम्मान) और डॉ. शंकर शरण (उत्कृष्ट स्तंभकार नारद सम्मान) सम्मिलित थे. इस अवसर पर श्री अरुण जेटली ने चिंता जताई कि आजकल कुछ स्थानीय सरकारें अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए सरकारी विज्ञापन फण्ड का दुरूपयोग कर रही हैं, जिससे पत्रकारिता की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है. श्री जेटली ने कहा कि सोशल मीडिया ने आज मीडिया का इतना लोकतंत्रीकरण कर दिया है कि उस पर किसी भी प्रकार से अंकुश लगाना संभव नहीं रह गया है. उन्होंने साथ ही कहा कि अब यह जिम्मेदारी पत्रकारों और समाज की है कि वो इसका सही उद्देश्य के लिए प्रयोग करें. श्री जेटली ने लाइफ टाइम एचीवमेंट नारद सम्मान पाने वाले वरिष्ठ पत्रकार श्री श्याम खोसला के पत्रकारिता में योगदान की भूरी-भूरी प्रसंशा की और उनकी दीर्घायु की कामना की. श्री जेतली ने उत्कृष्ट स्तंभकार के लिए नारद सम्मान से सम्मानित श्री मनमोहन शर्मा के योगदान की भी सराहना की और अन्य सम्मानित पत्रकारों का अभिनन्दन किया. डॉ. बजरंगलाल गुप्त ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नारद जी का जिस तरह से चरित्र-चित्रण हुआ है उससे उनकी छवि चुगलखोर और विदूषक की बन गई है, यह बहुत दुखदाई है. आज आवश्यकता है कि नारद का वास्तवित चरित्र समाज के सामने आये. डॉ. गुप्त ने कहा कि पत्रकारों का प्रेरणा स्रोत देवर्षि नारद होने चाहिये क्योंकि वह तीनों लोकों में वास्तविक समाचार तीव्र गति से पहुंचाकर समाज को सही दिशा देने का कार्य करते थे. नारद द्वारा सदेशों के प्रसार में कोई निजी हित अथवा किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं रहता था. वह सभी के लिए निष्पक्ष पत्रकारिता करते थे. डॉ. गुप्त ने कहा कि लोगों को परिष्कृत करने का भी दायित्व पत्रकारों का ही होता है. लोकतंत्र को सफल बनाने में पत्रकारों का योगदान सर्वोपरि है. लोकतंत्र में पत्रकारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. लोकतंत्र की मजबूती के लिए पत्रकारों का तथ्यात्मक और निष्पक्ष होना बहुत जरूरी है. इस देश में मुद्दों के आधार पर पत्रकारिता को आगे बढ़ाने पर विचार विमर्श की आवश्यकता है. आज पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ा संकट आर्थिक दबाव है, इससे उबरने के लिए पत्रकारों को देवर्षि नारद के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिये और उनके विचारों पर अमल करने की जरूरत है, तभी वर्तमान पत्रकारिता स्वच्छ, स्वतंत्र एवं निडर हो सकेगी. कार्यक्रम के आरम्भ में पत्रकारों को शाल, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह एवं पुरस्कार राशि से सम्मानित किया गया. लाइफ़टाइम अचीवमेंट नारद सम्मान से सम्मानित श्री श्याम खोसला को एक लाख रूपए, उत्कृष्ट पत्रकारिता नारद सम्मान से अलंकृत श्री मनमोहन शर्मा को 51 हजार रुपये एवं अन्य सम्मानित पत्रकारों को 11-11 हजार रूपये की राशि प्रदान की गई. श्रेष्ठ छायांकन के लिए उत्कृष्ट छायाकार नारद सम्मान स्व. श्री रवि कन्नौजिया को मरणोपरांत प्रदान किया गया. इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष श्री अशोक सचदेवा की तरफ से उनके परिवार को 21 हजार की अतिरिक्त राशि भी प्रदान की गई. श्री श्याम खोसला, श्री मनमोहन शर्मा और डॉ. शंकर शरण के साथ ही श्री आशीष कुमार ‘अंशु’ (उत्कृष्ट ग्रामीण पत्रकारिता नारद सम्मान), श्री सय्यद सुहैल (उत्कृष्ट न्यूजरूम सहयोग), श्री प्रफुल्ल कुमार (उत्कृष्ट डिजीटल मीडिया नारद सम्मान) और श्री अभिरंजन कुमार (उत्कृष्ट सोशल मीडिया नारद सम्मान) को भी नारद सम्मान दिया गया. कार्यक्रम के समापन के अवसर पर इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के सचिव श्री वागीश ईसर ने सभी अतिथियों का धन्यवाद कर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया.

Wednesday, May 4, 2016

RSS-Vagish Issar: श्रध्येय बलराज मधोक जी का निधन

RSS-Vagish Issar: श्रध्येय बलराज मधोक जी का निधन: भारतीय राजनीति से एक सम्पदा हमेशा के लिए समाप्त हो गया नई दिल्ली 02 मई, 2016 (इंविसंके). श्रध्येय बलराज मधोक जी का निधन भारतीय ...

श्रध्येय बलराज मधोक जी का निधन

भारतीय राजनीति से एक सम्पदा हमेशा के लिए समाप्त हो गया नई दिल्ली 02 मई, 2016 (इंविसंके). श्रध्येय बलराज मधोक जी का निधन भारतीय राजनीति एवं बौद्धिक क्षेत्र में एक सम्पदा का समाप्त होने जैसा है. आरएसएस के पूर्व प्रचारक और भारतीय जनसंघ के 11वें अध्यक्ष रहे श्र्ध्येय मधोक जी के निधन का समाचार आज सुबह जैसे ही पुरे विश्व में फैला, वैसे ही देश के तमाम राजनीतिज्ञ उनके घर पहुँच कर अपनी संवेदनाएं परिवार के साथ रखे और उनके पार्थिव शारीर का दर्शन भी किया. तो विश्व के कोने-कोने से शोकाकुल परिवार के लिए संतावना एवं शोक संदेश आने लगें. अंतिम संस्कार के दौरान अपने दिग्वंत पिता श्रध्येय बलराज जी को उनकी बेटी ने मुखाग्नि दिया. देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी पहुँच कर उनके पार्थिव शरीर का दर्शन किए और उनके परिवार के सदस्यों को संतावना दिए. इसी क्रम में बीजेपी से वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी, डॉ. हर्षवर्धन (केंदीय मंत्री), अरुण जेटली, शांता कुमार, कलराज मिश्र, सिद्धार्थन जी (संगठन मंत्री), मीनाक्षी लेखी, सतीश उपाध्याय, आर.पी.एन. सिंह (पूर्व एमएलए), रविन्द्र गुप्ता (पूर्व महापौर), राजन जी (जिलाध्यक्ष्य, करोलबाग) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से डॉ. कृष्ण गोपाल जी, गोपाल आर्य जी (केन्द्रीय कार्यालय सचिव), अजय जी (क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख), कुलभूषण आहूजा जी (प्रान्त संघचालक, दिल्ली) एवं अन्य संगठनो से हिन्दू मंच के प्रभाकर जी, सामाजिक कार्यकर्ता सतपाल जी इत्यादियों ने भी पहुँच कर अपनी संतावना दी. प्रोफेसर बलराज मधोक का 96 वर्ष की आयु में जाना एक पूरे युग के की उठापटक के चश्मदीद गवाह का छिन जाना है। बलराज मधोक ने जम्मू-काश्मीर को तब से समझना आरम्भ किया जब भारत के विभाजन की योजनाए बन रही थी, वे तब जवान हुए जब जम्मू-काश्मीर को बलात छीनने की समरनीति तय की जा रही थी। उन का षडयंत्रकारियों से आमना सामना तब तक होता रहा जब लगभग सब, राजनेता, सरकार और समरनीतिकार हथियार छोड चुके थे। 1948 में जब हरि सिंह स्ट्रीट के मकान की दूसरी मंजिल से वे किसी तरह बच निकलने में सफल हुए तब से वे अपने भाषणों, अपने लेखों और अपनी दर्जनों पुस्तकों में यही कहते रहे हैं कि काश तब बात सुनी होती, तब नहीं सुनी अब भी समझ लेते तो बहुत कुछ हो सकता था। बलराज जी, जैसे उन के मित्र उन्हें पुकारते थे काश्मीरी तो नहीं थे लेकिन काश्मीर ही उन का कर्मक्षेत्र बन गया था और यह नियति ने पहले से तय कर दिया था। उन के पिता जम्मू-काश्मीर राज्य के ही कर्मचारी थे और उस समय रियासत में ही थे जब बलराज का जन्म हुआ। वे बतिस्तान के अकेने कसबे स्कर्दू में पैदा हुए। लाहौर और जम्मू दो ऐसे नगरों में उन्होने शिक्षा पाई जहाँ उन दिनों इक्बाल की ‘काश्मीर कमीटी’ की शह पर काश्मीर को प्रस्तावित पाकिस्तान का हिस्सा बनाने का षडयंत्र रचा जा रहा था। 1947 में अगर काश्मीर सिक्के का एक पक्ष शेख अब्दुल्ला थे तो दूसरा पक्ष बलराज मधोक। इसीलिए सत्ता पर अधिकार जमाते ही अब्दुल्ला ने उन्हे गिरफ्तार करने का आदेश दिया। बलराज जी अदम्य साहस और जीवट को व्यक्ति थे। अपने राजनैतिक जीवन के अल्प काल में ही वे तीन ऐसी संगठनों को जन्म देने में सहायक सिध्द हुए जो आगे चल कर भारतीय राजनीति के लिए महत्त्वपुर्ण बदलाव का कारक बनी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भरतीय जन संघ और जम्मू-काश्मीर प्रजा परिषद के गठन में बलराज मधोक की भूमिका कोई नहीं नकार सकता। राष्ट्रीय राजनैतिक दल जल धाराओं की तरह होते हैं जो निकलती तो अलग अलग दिशाओं में हैं लेकिन जब मिलती है तो विराट नदी बनाती है । इस यात्रा में प्रायः कुछ धाराएं अलग दिशा मे छिटक जाती है। यही जनसंघ के साथ भी हुआ। बलराज मधोक और उन के साथी कई मामलो पर सहमत नही रह सके। बलराज का जीवन कटु अनुभवों से गुजरा था, उन्हों ने षडयंत्रों को सामने से देखा था ओर उन के लिए दो टूक टूक बात करने और विचारधारा में किसी प्रकार के समझौते के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी। विकासमान जनसंघ अब पूरे देश की बहुविध समस्याओं के प्रभाव में एक मद्यमार्ग का अनुसरण करने लगा थी। मधोक के अनुसार यह वामपंथ की और झुकाव था। मधोक को पार्टी छोडनी पडी। लेकिन अलग होने पर भी मधोक निष्क्रिय नही रहे। अपनी लेखनी को उन्होंने कभी विराम नही दिया। बलराज जी उन नेताओं में से थे जो लगभग पैदाइशी लडाकू होते हैं और मृत्यू की शैया तक लडाकू ही रहते हैं। अपने याद के रूप में लगभग दर्जन भर पुस्तकें पीछे छोड़ गए। उनकी आत्मकथा और उन का उपन्यास जीत या हार अपने दौर के आईने हैं जिन में वे सारे षडयंत्र वह सारी अदूरदर्शिता साकार हो उठती है।

Sunday, April 17, 2016

17-4/2016, अंबेडकर जी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनको श्रद्धा सुमन अर्पित नई दिल्ली। बाबा साहेब भीमराव करने के लिए भिन्न-भिन्न तरह की घोष रचनाओं का वादन कर पथ संचलन निकाला गया। मुख्य कार्यक्रम सायं करनैल सिंह स्टेडियम में सम्पन्न हुआ। तीन अलग स्थानों से घोष विभाग के लगभग 1600 स्वयंसेवको ने भाग लिया । प्रमुख बाज़ारो में समाज के बड़ी संख्या में घोष का आनंद लिया एवं पुष्प वर्षा से उनका स्वागत किया। पश्चात् सभी स्वयं सेवक कर्नेल सिंह स्टेडियम पहुँचे।स्टेडियम में बहुत बड़ी संख्या में समाज के विभिन्न क्षेत्रो के बंधू /भगनिओ एवं स्वयं सेवको ने घोष कार्यक्रम देखा एवं सर कार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी के विचार सुने । हिमालय से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कामरूप तक अपना यह एक देश है, यहां रहने वाला एक जन है। बिना किसी भेदभाव के एक समरस समाज हम खड़ा करें यह इस कार्यक्रम का संकल्प था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डाॅ कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि अम्बेडकर जी के जन्म के समय देश 700-800 वर्षो की पराधीनता से स्वतन्त्रता के लिए लड़ रहा था दूसरी ओर अपने ही समाज के अन्दर एक लम्बे संघर्ष और पराधीनता के कारण अनेक प्रकार की कुरीतियां आ गईं। अनेक अच्छी बातें छूट गईं और जो अनुपयोगी था वह हमारे साथ में आ गया। संघर्ष लम्बा था देश एक बड़ी कालरात्रि को देख कर आगे बढ़ा था। बाहरी आक्रमणों के समय प्राणों की रक्षा मूल्यवान थी किसी भी तरह से प्राण बच जाएं, हमारे देश में महिलाओं में पर्दा व्यवस्था आ गई, हमारे यहां छुआ-छूत नहीं थी वह भी आ गई। वेद उपनिशदों में अस्पर्षयता का उल्लेख नहीं है, भगवान बुद्ध के समय भी अस्पर्षयता नहीं थी, ऊंच नीच की भावना थी और इसके विरुद्ध भगवान बुद्ध ने संघर्ष किया। बुद्ध ने कहा था कि जन्म के आधार पर कोई व्यक्ति छोटा-बड़ा नहीं होता। लेकिन जब देश विदेशिवो का गुलाम हो गया तो सामाजिक व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गईं, टूट गईं। लोग अपने आपको बचाने की फिक्र में छोटे-छोटे दायरे में सिकुड़ने लगे और जातियां और उपजातियां बढ़ने लगीं। पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति को छूने से भी पाप लगता है ऐसी धारणाएं समाज में बन गईं। यह वो काल था जब लोग दूसरे लोगों की परछाइयों के छूने से भी डरते थे कि पाप न लग जाए। इस व्यवस्था के खिलाफ समाज में संघर्ष चले, जब ऐसी र्दुव्यवस्थाएं आती हैं तो हिन्दू समाज में कोई न कोई समाज सुधारक पैदा होता है। वह समाज को कुरीति से दूर निकालकर ले आता है। मौलिक सिद्धान्त, दर्शन को सम्भालकर समाज को फिर उस खूंटे में लाकर के बांधता है। भगवान बुद्ध ने भी ऐसा काम किया था। कबीर, रविदास, गुरुनानक, महात्मा फुले ने भी यही काम किया और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने भी यही काम किया। डाॅ बाबा साहेब ने बचपन से उस अव्यवस्था के कारण बहुत दुख झेले व स्थान-स्थान पर अपमानित हुए। अंबेडकर जी ने समाज से भेदभाव दूर करने के लिए पश्चमी देशो की तरह कभी वर्ग संघर्ष को नहीं अपनाया जिसमें लाखों लोग मारे गए थे। उन्होंने बुद्ध के मार्ग पर चलते हुए जो दर्शन महात्मा फुले ने दिया, गुरुनानक, कबीर, रविदास ने दिया उसी दर्शन आगे ले जाते हुए उन्होंने राष्ट्र की एकता बरकरार रखते हए शोषित समाज को उनके अधिकार दिलवाए। इस मौके पर सभा की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत न्यूक्लीयर फिजिक्स के प्रोफेसर पी डी सहारे (भौतिकी एवं खगोल भौतिकी विभाग) ने भी अंबेडकर जी के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर दिल्ली प्रान्त संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा तथा सह संघचालक श्री आलोक कुमार उपस्थित थे ।

Thursday, April 14, 2016

सामाजिक समरसता मंच, दिल्ली प्रान्त नई दिल्ली, 14 अप्रैल, 2016 (इंविसंके). सामाजिक समरसता मंच द्वारा आज भारत रत्न बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की 125वीं जयंती को उत्सव के रूप में मनाया गया. सामजिक समरसता मंच के संयोजक महंत ओमप्रकाश गिहारा जी के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने संसद भवन के प्रांगण में बाबा साहेब के प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया. जिसमें बीजेपी से सांसद सुश्री मीनाक्षी लेखी, उदित राज, सतीश उपाध्याय (दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी), दुष्यंत गौतम जी (अखिल भारतीय अध्यक्ष, अनुसूचित जाति मोर्चा, बीजेपी) एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रान्त के प्रान्त संघचालक मा. कुलभूषण आहूजा जी, प्रान्त सह संघचालक मा. आलोक कुमार जी, श्री ओमप्रकाश जी, श्री इन्द्रजीत जी, श्री मदन महतो जी एवं प्रान्त कार्यवाह श्री भारत जी भी मुख्य रूप से उपस्थित थे. संसद मार्ग पर सामाजिक समरसता मंच के स्टाल में बाबा साहेब के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करते हुए, सभी भगिनि/बंधुओं ने संकल्प लिया कि बाबा साहेब के सभी दूरदर्शी विचारों को सम्पूर्ण भारतवर्ष में जन-जन तक पहुंचाएगें. सामाजिक समरसता मंच द्वारा यह स्टाल बाबा साहेब के जयंती के उपलक्ष्य में पहली बार लगाया है. जिसका एक मात्र लक्ष्य है, समूचे भारत में समाज के सभी धर्म-समुदाय के हरेक तबके के लोगों तक “सामाजिक समरसता” का संदेश पहुंचे. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रान्त के सह संघचालक मा. आलोक कुमार जी ने बाबा साहेब के दूरदर्शी विचारों को याद दिलाते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर जी ने कहा था - “मैं चाहता हूँ कि लोग सर्वप्रथम भारतीय हों और अंत तक भारतीय रहें, भारतीय के अलावा कुछ भी नहीं.” बाबासाहेब ने सर्व समावेशी दृष्टि की बात कही है. जो देशवासियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. इस वाक्य से बाबासाहेब की विराट दूरदर्शी सोच का पता चलता है कि डॉ. साहब कितने उच्च एवं विराट विचार से सम्पन व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे. भारतीय संस्कृति में तप बड़ी चीज है. इस तप की शिक्षा और प्रेरणा हम सभी भारतवासियों को बाबा साहेब के जीवन से वर्तमान समय में सीखने की आवश्यकता है. सुश्री मीनाक्षी लेखी ने इस अवसर पर बाबा साहेब को याद करते हुए कहा कि – आज बाबासाहेब जी कि ही देन है कि हम भारतीय महिलाएं अपना वोट दे पाती हैं. डॉ. साहब ने भारतीय संविधान में यह अधिकार नहीं दिया था, बल्कि सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकारण का आगाज किया था. मैं जब-जब यह सुनती कि बाबासाहेब दलित नेता थे, तो मुझे बहुत पीड़ा होती है. बाबासाहेब किसी धर्म-समुदाय या जाति विशेष के नेता नहीं थे. बाबासाहेब सर्वधर्म-संप्रदाय के नेता थे. बाबा साहेब जैसे महापुरुष धरती पर कभी-कभी ही अवतरित होते हैं. बाबासाहेब महापुरुष थें, इंसानों के मसीहा थे, आज भी हैं और सदा ही रहेंगे. पुष्पांजलि कार्यक्रम के अंत में सामजिक समरसता मंच के संयोजक महंत ओमप्रकाश गिहारा जी ने उपस्थित सभी भगिनि/बंधुओं को धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि हमें आज से दृढ निश्चय के साथ संकल्प लेना है कि आज से भारतवर्ष के अंतर्गत जन-जन तक “सामजिक समरसता” का संदेश पहुचाएंगे. बाबा साहेब के जयन्ती को आप सभी के सहयोग से आने वाले समयों में और धूमधाम से मनाएंगे. ताकि, बाबासाहेब के विराट दूरदर्शी सपनों को साकार किया जा सके.

Tuesday, April 5, 2016

RSS-Vagish Issar: श्री हरिमंदिर साहिब की पवित्रा वस्तुओं को सौंपकरगौ...

RSS-Vagish Issar: श्री हरिमंदिर साहिब की पवित्रा वस्तुओं को सौंपकरगौ...: श्री हरिमंदिर साहिब की पवित्रा वस्तुओं को सौंपकर गौरवान्वित अनुभव करूंगा -रक्षामंत्राी मनोहर पर्रिकर राष्ट्रीय सिख संगत का एक शिष्ट मण्डल ...
श्री हरिमंदिर साहिब की पवित्रा वस्तुओं को सौंपकर गौरवान्वित अनुभव करूंगा -रक्षामंत्राी मनोहर पर्रिकर राष्ट्रीय सिख संगत का एक शिष्ट मण्डल राष्ट्रीय महामंत्राी संगठन श्री अविनाश जायसवाल जी की अध्यक्षता में रक्षामंत्राी श्री मनोहर पर्रिकर जी से मिला। शिष्ट मण्डल में राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय महासचिव डाॅ. अवतार सिंह शास्त्राी, एवं श्री कृष्ण जी-मुख्य रक्षाध्किारी थे। शिष्ट मण्डल ने सिख मर्यादा के अनुसार श्री पर्रिकर जी का शाॅल एवं सिरोपा देकर सम्मान किया। शिष्ट मण्डल ने उनका आभार और कतृज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि आप भारतमाता और भारतवर्ष के जनमानस की सेवा कर रहे हैं, यह अपने आप में एक बहुत ही हर्ष का विषय है। आपसे विनम्र निवेदन है कि तत्कालीन सरकार ने जून 1984 में श्री हरिमंदिर साहिब पर आक्रमण करके तथा बाद में वहां से कुछ बहुत ही ऐतिहासिक एवं पौराणिक वस्तुएं सेना ने एहतिहातन तौर पर अपने कब्जे में ले ली थीं। अब पंजाब में काला दौर एक अतीत की बात हो गई है। सब जगह सुख-शान्ति है। वो ऐतिहासिक व पौराणिक वस्तुएं श्री अकाल तख्त साहिब व हरिमंदिर साहिब को पुनः समर्पित की जाएं। पूरा सिख जगत इन वस्तुओं को वहां सुशोभित करना चाहता है। अगर आपके माध्यम से यह पवित्रा कार्य सम्पन्न होता है तो पूरे विश्व की सिख संगतें आपका आभार प्रकट करेंगी। रक्षामंत्राी सत्कारयोग श्री मनोहर पर्रिकर जी ने शिष्ट मण्डल को विश्वास दिलाया कि यदि कोई भी ऐसी पवित्रा वस्तु सेना के पास है तो उसे मैं अतिशीघ्र संबंध्ति रक्षाध्किारियों एवं रक्षा विभागों से बातचीत कर उन्हें सिख गुरुद्वारा प्रबंध्क कमेटी-अमृतसर को सौंपने में गौरव महसूस करूंगा। शिष्ट मण्डल ने सत्कारयोग मंत्राी महोदय को ध्यान में लाया कि वर्ष 2016-17 सर्वंशदानी श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व वर्ष है। श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी उस समय के ऐसे यो(ा हुए जिन्होंने मुगल साम्राज्य की जडे़ं हिलाकर महाराजा रणजीत सिंह जी के खालसा राज्य के रूप में केसरिया निशान पफहराकर हिन्दुस्थान को पिफर से गौरवान्वित किया। रक्षा मंत्राी ने विश्वास दिलाया कि वर्तमान भारतीय सेनाएं श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी की परम्परा को बनाए रखने में अपना ऐतिहासिक योगदान डाल रही हैं। उनका 350वां प्रकाश पर्व भारतीय सेनाओं के लिए चानन मीनार का काम करेगा। डाॅ. अवतार सिंह शास्त्राी राष्ट्रीय महासचिव एवं मीडिया प्रभारी 9958989011 राष्ट्रीय सिख संगत

Monday, March 28, 2016

RSS-Vagish Issar: ऐसा श्रेष्ठ भारत बनाना है कि दुनिया खुद बोले भारत ...

RSS-Vagish Issar: ऐसा श्रेष्ठ भारत बनाना है कि दुनिया खुद बोले भारत ...: ऐसा श्रेष्ठ भारत बनाना है कि दुनिया खुद बोले भारत माता की जय - मोहन भागवत लखनऊ,28 मार्च राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा....
ऐसा श्रेष्ठ भारत बनाना है कि दुनिया खुद बोले भारत माता की जय - मोहन भागवत लखनऊ,28 मार्च राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन मधुकर राव भागवत ने सोमवार को चारबाग के समीप ए.पी.सेन मार्ग स्थित भारतीय किसान संघ के कार्यालय रज्जू भैय्या स्मृति भवन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक शिवनारायण, किसान संघ के वीरेन्द्र सिंह, क्षेत्र कार्यवाह रामकुमार, अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य मधुभाई कुलकर्णी, उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के प्रचार प्रमुख कृपा शंकर,पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के प्रचार प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना प्रमुख रूप से उपस्थित थे। रज्जू भैय्या स्मृति भवन को केवल स्मृतियों तक ही सीमित न रखें इस अवसर पर बोलते हुए संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि रज्जू भैया स्मृति भवन महापुरूषों की स्मृतियों से जुड़ा है, लेकिन इस भवन को केवल स्मृतियों तक ही सीमित न रखें बल्कि इससे जुड़े महाषुरूषों के आदर्शों को आगे बढ़ायें। सरसंघचालक ने कहा कि जिस विचार के आधार पर हम काम करते हैं उसी विचार की अभिव्यक्ति के लिए नया भवन बना है। कार्यालय के वातावरण से कार्यकर्ताओं को कार्य करने की ऊर्जा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिसके स्मृति में यह भवन बना है वे देश में लोगों के सामने एक आदर्श जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके आदर्श जीवन का दर्शन कार्यालय में भी दिखना चाहिए। भवन में आने वाला हर कोई अपना कुटुम्ब समझे और सभी को यहां पर आदर्श कार्य की अनुभूति हो। पं. दीनदयाल उपाध्याय, भाउराव देवरस, अटल बिहारी वाजपेयी के स्मृतियों के साथ जुड़ा यह भवन, वैसा ही सर्वस्पर्शी स्वरुप दिखे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि कोई भी ‘भवन’ अपने कार्य के विस्तार का हिस्सा होता है। ऐसा भवन बनने के बाद काम पूरा नहीं होता, यह एक पड़ाव है। जिस विचार के लिए यह भवन बना है, उस विचार की अभिव्यक्ति भी होनी चाहिए। कहा कि ‘‘भवन के रख-रखाव से लेकर क्रियाकलाप तक महापुरुषों के स्मृतियों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा। इस भवन से जुड़े हुए लोगों को अपना जीवन, अपना आचरण उसी दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लेकर कार्य करेंगे, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। दुनिया का पेट भरने के लिए भारत का किसान खेती करता है सरसंघचालक ने कहा कि देश में भारतीय दर्शन के आधार पर कृषि का विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए खेती करता है। वह सिर्फ अपने खाने के लिए नहीं। पूरी दुनिया कृषि को वृत्ति के नजरिये से देख रही है। जबकि भारत सभी आजीविका के क्षेत्र को अपना कर्तव्य मानकर कार्य करता है। कम से कम श्रम में अधिक से अधिक कामाना, यह कुशलता नहीं है, जितना कमायेंगे उससे अधिक कार्य करेंगे, यह हमारी विशेषता है। भारतीय विचार के आधार पर कृषि क्षेत्र में कार्य करना ही भारतीय किसान संघ का कार्य है। भारत माता की जय किसी पर थोपने की जरूरत नहीं सरसंघचालक ने कहा कि हमें अपने आचरण द्वारा ऐसा श्रेष्ठ भारत बनाना है कि लोग खुद भारत माता की जय बोलें। यह किसी पर थोपने की जरूरत नहीं है। हमें अपने जीवन से सारे विश्व को एक दिशा देनी है। अपनी पद्धति अपने विचार किसी पर थोपने की जरूरत नहीं हैं बल्कि सारे विश्व को अपना मानने की आत्मीयता होनी चाहिए। ‘‘सारी दुनिया में ‘भारत माता की जय’ कहलाने के लिए विश्व के सामने जीवन के आदर्शो व उपलब्धियों को प्रेरणा के रुप में खड़ा करना होगा। किसी पर थोपना नहीं है। कहाकि उत्तम जीवन को खड़ा करने का उपक्रम संघ ने शुरू किया है। संकटों से निजात पाने के लिए दुनिया भारती की ओर देख रही है सरसंघचालक जी ने कहा कि आज दुनिया संकटों से जूझ रही है। संकटों से निजात पाने के लिए पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि अपने जीवन के उत्तम आचरण से पूरी सृष्टि को शिक्षा देना। दुनिया ने दोनों रास्ते के आधार को देख लिया है। पहला आस्तिक, दूसरा नास्तिक। दुनिया व्यक्ति व समूह को भी देखा है लेकिन टिकने वाला सुख नहीं मिल रहा है। दुनिया को तीसरा रास्ता भारत से मिलेगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किसान संघ के वीरेन्द्र सिंह ने रज्जू भैया स्मृति भवन के इतिहास के बारे में बोलतते हुए कहा कि इस नवनिर्मित भवन का नाम राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के चैथे सर संघ चालक प्रो. राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैया के नाम पर रखा गया है। इससे पहले इस भवन में जनसंघ का कार्यालय हुआ करता था। इस भवन में रज्जू भैया, भाऊराव देवरश, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी सहित तमाम हस्तियां रुकती रही हैं। उत्तर भारत में संघ कार्य का विस्तार केन्द्र यही कार्यालय हुआ करता था। इस मौके पर संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य अशोक बेरी, संघ की क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष, क्षेत्र के धर्म जागरण प्रमुख रामलखन सिंह, सह क्षेत्र धर्मजागरण प्रमुख रामचन्द्र पाण्डेय, आशीष गौतम, प्रान्त संघ चालक प्रभु नारायण श्रीवास्तव, रामनिवास जैन, विभाग कार्यवाह प्रशान्त भाटिया, महापौर डा. दिनेश शर्मा, विधान परिषद सदस्य हृदय नारायण दीक्षित, डा. लक्ष्मी कान्त वाजपेयी, भारत दीक्षित समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

Monday, March 21, 2016

RSS-Vagish Issar: नई दिल्ली, 21 मार्च, 2016 (इंविसंके). अखिल भारतीय ...

RSS-Vagish Issar: नई दिल्ली, 21 मार्च, 2016 (इंविसंके). अखिल भारतीय ...: नई दिल्ली, 21 मार्च, 2016 (इंविसंके). अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा भारत के जनजातियों के तैयार किए गये “नीति दृष्टिपत्र – 2015...
नई दिल्ली, 21 मार्च, 2016 (इंविसंके). अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा भारत के जनजातियों के तैयार किए गये “नीति दृष्टिपत्र – 2015” का लोकार्पण आज सायं नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हॉल में संम्पन हुआ. इसमे मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह श्री सुरेश भैय्या जी जोशी, विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत सरकार में ग्रामीण विकास एवं प.रा. मंत्री माननीय चौ. बिरेन्द्र सिंह, भारत सरकार में उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास के माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेन्द्र सिंह, भारत सरकार में मंत्री पर्यावरण, वन एवं ज.प. माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर उपस्थित रहें. विशेष उदबोधन माननीय जनजाति कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम एवं अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव जी ने दिया. इनके आलावा चंद्रकांत देव, महामंत्री, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम एवं विष्णुकांत जी महामंत्री, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के साथ-साथ वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष श्री शांतिस्वरूप बंसल जी एवं वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली प्रांत के महामन्त्री श्री राकेश गोयल जी भी उपस्थित रहें.