Monday, June 9, 2014

कार्यकर्ता बनने का कौशल संघ से सीखें : महाश्रमण जी नई दिल्ली. तेरापंथ समाज के जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशासन और सुव्यवस्था जैसे अच्छे गुणों की सराहना की और पंथ के कार्यकर्ताओं से फूहड़ता के बजाय कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिये इन गुणों को सीखने का आह्वान किया. दिल्ली के संघ कार्यालय केशव कुंज में 7 जून को संघ के स्वयंसेवकों और तेरापंथ के कार्यकर्ताओं की संयुक्त सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तेरापंथ से पुराना सम्बन्ध है, पंथ के आचार्य श्री महासिद्ध जी और स्वर्गीय सुदर्शन जी के बीच काफी सम्पर्क और संवाद था. अभी भी हमारे पास श्री मोहन जी भागवत कई बार आ गये हैं. कार्यकर्ता भी यदा-कदा आते रहते हैं, तो सम्पर्क बना रहता है.” आचार्य श्री महाश्रमण जी के शुभागमन पर संघ के स्वयंसेवकों ने उनका हार्दिक अभिनन्दन किया. आचार्य श्री महाश्रमण जी ने केशव कुञ्ज में कार्यकर्ता स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया . आचार्य श्री ने कार्यकर्ताओं के लिये सात सूत्र बताये . उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता में सबसे पहला गुण सेवा भाव का होना चाहिये. कार्य तो हर कोई करता है, भोजन करना, स्नान करना आदि सब अपने लोग अपने काम करते है, उन्होंने पूछा, लेकिन क्या ये सब कार्यकर्ता हो गये ? दूसरों के लिये निष्ठापूर्वक स्वयं अपनी सुविधा को छोड़कर भी काम करने की भावना कार्यकर्ता में होनी चाहिये. सहिष्णुता को दूसरा अनिवार्य गुण बताते हुए जैन मुनि ने कहा कि कार्यकर्ता में कठिनाइयों को झेलने की क्षमता होनी चाहिये. एक कार्यशील व्यक्ति के सामने विपरीत परस्थितियां आ सकतीं हैं . कहीं यात्रा में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर सोना पड़ सकता है, सादा भोजन भी करना पड़ सकता है . इसी प्रकार, कहीं पर अच्छा भोजन, कहीं सम्मान तो कहीं असम्मान मिल सकता है. कई बार लोग जानकारी न होने के कारण अपनी अवधारणा से अलग बात करने लग जाते हैं . लेकिन कार्यकर्ता को हर स्थिति में शांत रहना चाहिये . गुस्सा करने की वजह हर परिस्थिति को सहन करना ही कार्यकर्ता का धर्म है . कार्यकर्ता में मैत्री भावना को उन्होंने तीसरा गुण बताया. कार्यकर्ता को ज्यादा गुस्सा नहीं करना चाहिये . गुस्सा करना तो हमारी कमजोरी है . हमें कोई गधा कह दे, कुछ भी कह दे लेकिन शांत रहकर उसकी बात सुननी चाहिये . आवेश में आये बिना कार्यकर्ता को अपनी बात कहनी चाहिये . झुकने की जरूरत नहीं लेकिन मौके पर अपनी बात जरूर कह देनी चाहिये . चौथा सूत्र है कार्यकर्ता में ईमानदारी होनी चाहिये . बात का सच्चा होना चाहिये और पैसे का मामला हो, समाज से चंदा-अनुदान मिलता है, तो उसमें कोई गड़बड़ी न हो जाये, इसके लिये आर्थिक शुचिता होनी चाहिये . समाज ने जो विश्वास के रूप में दिया है तो हम भी समाज के विश्वास की सुरक्षा करें और धन के साथ नैतिक मूल्यों को जोड़े रखें . नैतिकता के साथ धन का ध्यान रखें . पांचवां सूत्र है कार्यकौशल . कार्यकर्ता को अपनी कुशलता का विकास करना चाहिये कि मैं काम कितने बढि़या ढंग और कितने अच्छे ढंग से करूं . छठा सूत्र है विवेक सम्पन्नता . कार्यकर्ता विवेकशील हो व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक हो . कृतघ्न और अनुशासन के बिना यह लोकतन्त्र का देवता भी विनाश और मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा . लोकतन्त्र हो, राजतन्त्र हो या कोई भी तन्त्र हो, निष्ठा सब जगह आवश्यक होती है . सातवां गुण अनुशासनबद्धता है . अनुशासन कार्यकर्ता के लिये अनिवार्य है. इस प्रकार, इन सात गुणों के साथ कार्यकर्ता अपने कार्य में सफल हो सकता है . कार्यकर्ता अपना ऊंचा एवं उदात्त लक्ष्य बनाये रखें . आचार्य श्री का अभिनंदन-वंदन करते हुए उत्तर क्षेत्र संघचालक श्री बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि उनके पदार्पण से केशव कुंज परिसर में व्याप्त कर्मऊर्जा-सामाजिक ऊर्जा में आध्यात्मिक ऊर्जा का सम्पुट लगा है, जिससे संघ के कार्यकर्ताओं को काम करने की अभिनव प्रेरणा मिलेगी. साथ ही, दिशा और दृष्टि भी म लेगी. ऐसे आचार्य श्री का आना मानो दो प्रकार की धाराओं के सम्मिलन का अदभुत प्रकार का दृश्य उत्पन्न हुआ है.
कार्यकर्ता बनने का कौशल संघ से सीखें : महाश्रमण जी नई दिल्ली. तेरापंथ समाज के जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशासन और सुव्यवस्था जैसे अच्छे गुणों की सराहना की और पंथ के कार्यकर्ताओं से फूहड़ता के बजाय कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिये इन गुणों को सीखने का आह्वान किया. दिल्ली के संघ कार्यालय केशव कुंज में 7 जून को संघ के स्वयंसेवकों और तेरापंथ के कार्यकर्ताओं की संयुक्त सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तेरापंथ से पुराना सम्बन्ध है, पंथ के आचार्य श्री महासिद्ध जी और स्वर्गीय सुदर्शन जी के बीच काफी सम्पर्क और संवाद था. अभी भी हमारे पास श्री मोहन जी भागवत कई बार आ गये हैं. कार्यकर्ता भी यदा-कदा आते रहते हैं, तो सम्पर्क बना रहता है.” आचार्य श्री महाश्रमण जी के शुभागमन पर संघ के स्वयंसेवकों ने उनका हार्दिक अभिनन्दन किया. आचार्य श्री महाश्रमण जी ने केशव कुञ्ज में कार्यकर्ता स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया . आचार्य श्री ने कार्यकर्ताओं के लिये सात सूत्र बताये . उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता में सबसे पहला गुण सेवा भाव का होना चाहिये. कार्य तो हर कोई करता है, भोजन करना, स्नान करना आदि सब अपने लोग अपने काम करते है, उन्होंने पूछा, लेकिन क्या ये सब कार्यकर्ता हो गये ? दूसरों के लिये निष्ठापूर्वक स्वयं अपनी सुविधा को छोड़कर भी काम करने की भावना कार्यकर्ता में होनी चाहिये. सहिष्णुता को दूसरा अनिवार्य गुण बताते हुए जैन मुनि ने कहा कि कार्यकर्ता में कठिनाइयों को झेलने की क्षमता होनी चाहिये. एक कार्यशील व्यक्ति के सामने विपरीत परस्थितियां आ सकतीं हैं . कहीं यात्रा में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर सोना पड़ सकता है, सादा भोजन भी करना पड़ सकता है . इसी प्रकार, कहीं पर अच्छा भोजन, कहीं सम्मान तो कहीं असम्मान मिल सकता है. कई बार लोग जानकारी न होने के कारण अपनी अवधारणा से अलग बात करने लग जाते हैं . लेकिन कार्यकर्ता को हर स्थिति में शांत रहना चाहिये . गुस्सा करने की वजह हर परिस्थिति को सहन करना ही कार्यकर्ता का धर्म है . कार्यकर्ता में मैत्री भावना को उन्होंने तीसरा गुण बताया. कार्यकर्ता को ज्यादा गुस्सा नहीं करना चाहिये . गुस्सा करना तो हमारी कमजोरी है . हमें कोई गधा कह दे, कुछ भी कह दे लेकिन शांत रहकर उसकी बात सुननी चाहिये . आवेश में आये बिना कार्यकर्ता को अपनी बात कहनी चाहिये . झुकने की जरूरत नहीं लेकिन मौके पर अपनी बात जरूर कह देनी चाहिये . चौथा सूत्र है कार्यकर्ता में ईमानदारी होनी चाहिये . बात का सच्चा होना चाहिये और पैसे का मामला हो, समाज से चंदा-अनुदान मिलता है, तो उसमें कोई गड़बड़ी न हो जाये, इसके लिये आर्थिक शुचिता होनी चाहिये . समाज ने जो विश्वास के रूप में दिया है तो हम भी समाज के विश्वास की सुरक्षा करें और धन के साथ नैतिक मूल्यों को जोड़े रखें . नैतिकता के साथ धन का ध्यान रखें . पांचवां सूत्र है कार्यकौशल . कार्यकर्ता को अपनी कुशलता का विकास करना चाहिये कि मैं काम कितने बढि़या ढंग और कितने अच्छे ढंग से करूं . छठा सूत्र है विवेक सम्पन्नता . कार्यकर्ता विवेकशील हो व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक हो . कृतघ्न और अनुशासन के बिना यह लोकतन्त्र का देवता भी विनाश और मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा . लोकतन्त्र हो, राजतन्त्र हो या कोई भी तन्त्र हो, निष्ठा सब जगह आवश्यक होती है . सातवां गुण अनुशासनबद्धता है . अनुशासन कार्यकर्ता के लिये अनिवार्य है. इस प्रकार, इन सात गुणों के साथ कार्यकर्ता अपने कार्य में सफल हो सकता है . कार्यकर्ता अपना ऊंचा एवं उदात्त लक्ष्य बनाये रखें . आचार्य श्री का अभिनंदन-वंदन करते हुए उत्तर क्षेत्र संघचालक श्री बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि उनके पदार्पण से केशव कुंज परिसर में व्याप्त कर्मऊर्जा-सामाजिक ऊर्जा में आध्यात्मिक ऊर्जा का सम्पुट लगा है, जिससे संघ के कार्यकर्ताओं को काम करने की अभिनव प्रेरणा मिलेगी. साथ ही, दिशा और दृष्टि भी म लेगी. ऐसे आचार्य श्री का आना मानो दो प्रकार की धाराओं के सम्मिलन का अदभुत प्रकार का दृश्य उत्पन्न हुआ है.

Tuesday, June 3, 2014

RSS Sarkaryavah Man. Bhayya ji Joshi is paying tribute to Late Sh. Gopi Nath Munde at BJP Head Quarter New Delhi. 3.06.2014
a Condolence message from RSS Sarsanghchalak Dr. Mohan Rao Bhagwat ji on untimely demise of Sh. Gopi Nath Munde ji .

Monday, September 30, 2013

RSS-Vagish Issar: SADHNA TV AND SUDARSHAN TV WILL TELECAST LIVE THIS...

RSS-Vagish Issar: SADHNA TV AND SUDARSHAN TV WILL TELECAST LIVE THIS...: SADHNA TV AND SUDARSHAN TV WILL TELECAST LIVE THIS EVENT. NDRPRASTH NAAD GRAND AND UNIQYE BAND SHOW OF RSS ON 2 OCT 2013. 5.30PM ON WA...
SADHNA TV AND SUDARSHAN TV WILL TELECAST LIVE THIS EVENT. NDRPRASTH NAAD GRAND AND UNIQYE BAND SHOW OF RSS ON 2 OCT 2013. 5.30PM ON WARDS AT AMBEDKAR STADIUM NEW DELHI .RSS SARKARYAVAH MAN. BHAYYA JI JOSHI WILL ADDRESS. SADHNA TV AND SUDARSHAN TV WILL TELECAST LIVE THIS EVENT.